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रांची/डेस्क: फ्लाइट में सफ़र करने के दौरान आपका मोबाइल डेटा काम नही करता है. लेकिन आपको कई फ्लाइट में फ्री Wi-Fi जरूर मिल जाती है. क्या कभी आपने ऐसा सोचा है कि आखिर फ्लाइट में बिना नेटवर्क के फ्री Wi-Fi कहा से मिल जाता है. यह सोच वाली बात है. आपके मन में भी कई बार यह सवाल जरूर आया होगा. आइए आपको फ्लाइट में मिलने वाली फ्री Wi-Fi के बारे में बताते है.
ऐसे बहुत से एयरलाइंस है जो अपने फ्लाइट में फ्री Wi-Fi की सुविधा देती है. ऐसे में एयर इंडिया के कुछ विमानों में भी फ्री Wi-Fi की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन इतनी ऊंचाई में आखिर Wi-Fi काम कैसे करता है. फ्लाइट्स में यात्रा के दौरान दो प्रमुख कारण से Wi-Fi सुविधा उपलब्ध हो पाती है. इनमे से के है एयर-टू-ग्राउंड सिस्टम. वहीं दूसरा कारण है सैटेलाइट बेस्ड वाई-फाई सिस्टम. इन दोनों कारणों की वजह से ही आप फ्लाइट में Wi-Fi की सुविधा का आनंद ले पाते है.
एयर-टू-ग्राउंड सिस्टम में फ्लाइट में लगे एंटीना जमीन से मौजूद टावर से सिग्नल प्राप्त करता है. यह कनेक्शन एक निर्धारित ऊंचाई तक बड़े आराम से काम करता है. ऐसे में अगर फ्लाइट किसी ऐसे क्षेत्र से जाता है, जहां पर ग्राउंड टावर उपलब्ध नहीं होते है,, तो उस समय इसका कनेक्शन काम नहीं करता है. आपको बता दे कि ग्राउंड में लगे टावर सिग्नल को ऊपर की ओर प्रोजेक्ट करता है. इसे कैच करने के लिए फ्लाइट के निचले हिस्से में एंटीना लगे होते है.
वहीं दूसरा होता है सैटेलाइट आधारित वाई-फाई सिस्टम. ज्यादर विमान में इसी तकनीक को इस्तेमाल किया जाता है. इस सिस्टम में फ्लाइट तक सिग्नल जमीन पर मौजूद स्टेशन से सेटेलाइट के माध्यम से पहुंचते है. ऐसे में सिग्नल को कैच करने के लिए एंटीना विमान के ऊपरी हिस्से में लगे रहते है. यह सिस्टम जहां ग्राउंड टावर नहीं है वहां भी कनेक्शन प्रदान करती है. फ्लाइट के अंदर मौजूद एक राउटर के जरिए यारियों के डिवाइस तक यह सिग्न पहुंचता है. फ्लाइट के 3000 मीटर के ऊंचाई तक पहुंचने के बाद से यह सेवा शुरू हो जाती है.
आपको बता दे कि फ्लाइट में सफ़र करने समय मोबाइल डेटा बैन होता है. इसके तरंगों से पायलट को ग्राउंड कंट्रोल से संपर्क करने से, नेविगेशन और रडार उपकरण और टकराव से बचाव तकनीक में भी दिक्कत आती है.