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रांची/डेस्क: हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार, देव दीपावली का बहुत बड़ा महत्व होता हैं. वैसे तो यह पर्व हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. पुरानी कथाओं के अनुसार, देव दीपावली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था. ऐसा कहा जाता है कि अगर इस दिन पूजा-पाठ किया जाए और साथ ही वैदिक मंत्रों का जाप करे तो लोगों को दोगुना फल मिलता हैं. यह पर्व भगवान शिव के बेटे भगवान कार्तिकेय की जयंती के रूप में भी माना जाता हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्वयं देवी-देवता स्वर्ग से धरती पर आते है और अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनके सारे कष्टों को दूर कर देते हैं.
भारत में देव दीपावली अच्छी तरह से वाराणसी के गंगा तट पर मनाया जाता हैं. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का स्वरूप समझकर मनाया जाता हैं. ऐसा माना जाता है कि इस शुभ अवसर पर महादेव की पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर सबकी हर एक मनोकामना पूरी होती हैं. साथ ही लोगों के मन से हर एक भय भी दूर हो जाता हैं. इस दिन को कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि भी माना जाता हैं.
कब है देव दीपावली?
कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत 15 नवंबर की सुबह 6 बजकर 19 मिनट से 16 नवंबर की रात 2 बजकर 58 मिनट पर खत्म होगी. हिंदू धर्म में उदया तिथि का बेहद महत्त्व होता हैं. इसलिए देव दीपावली 15 नवंबर को मनाया जाता हैं.
देव दीपावली का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को 2 घंटे 37 मिनट तक के लिए मिलेगा. यह पर्व दिवाली के 15 दिन बाद मनाया जाता हैं. इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 10 मिनट से 7 बजकर 47 मिनट तक रहेंगी. इस शुभ मुहूर्त के दौरान गंगा घाट पर दीये जलाए जाते हैं.
इस दिन क्या करना चाहिए?
- देव दीपावली के दिन सुबह पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए.
- इस दिन गंगा स्नान करना और भी शुभ माना जाता हैं.
- इस दिन साफ-सुथरे कपड़े पहन कर दीये में घी या तेल डालकर दान करें.
- इसके साथ ही पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा करें.
- शाम के समय भी दीप जलाएं और दीपदान जरुर करें.
- इसके बाद आखिर में मंत्र जाप करें और आरती करें.
आखिर क्यों मनाई जाती है देव दीपावली?
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सभी देवता दिवाली मनाते हैं. इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवताओं ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था और उसके बाद दीप जलाकर उत्सव मनाया था. उसके बाद से ही देव दीपावली मनाने की शुरुआत हुई थी.