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रांची/डेस्क: साइबर गुलामी ने हजारों भारतीयों को विदेश में फंसा दिया है. अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों की तलाश में दक्षिण पूर्व एशिया गए तकनीकी पेशेवरों सहित कई भारतीय साइबर स्कैमिंग कंपनियों के लिए काम करने लगे हैं. उन्हें डेटिंग स्कैम, क्रिप्टो और ट्रेडिंग धोखाधड़ी सहित ऑनलाइन अपराधों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है. अब, भारत सरकार इस पर नकेल कस रही है. साइबर गुलामी ने दक्षिण-पूर्व एशिया में हज़ारों, संभवतः दसियों हज़ार भारतीयों को फँसा लिया है, जहाँ उन्हें ऑनलाइन स्कैमर्स के लिए काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जो घर पर भारतीयों को निशाना बनाते हैं और उनसे लाखों डॉलर ठगते हैं. अब भारत सरकार इस नए साइबर अपराध पर नकेल कस रही है.
देश के दूरसंचार मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों में 21.7 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन काटना तथा लगभग 226,000 हैंडसेट ब्लॉक करना शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार एक अंतर-मंत्रालयी पैनल का गठन किया गया है, जिसमें गृह मंत्रालय, आव्रजन ब्यूरो, वित्तीय खुफिया इकाई, भारतीय रिजर्व बैंक, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी शामिल हैं. दूरसंचार ऑपरेटरों से कहा गया है कि वे आने वाली अंतर्राष्ट्रीय "स्पूफ्ड कॉल्स" को ब्लॉक करें, जिनमें भारतीय मोबाइल नंबर दिखाए जाते हैं. ऐसी ड्रॉप कॉल्स आने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉल्स का 35 प्रतिशत हिस्सा होती हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार (30 सितंबर) को एक रिपोर्ट में कहा कि दूरसंचार कंपनियों से हांगकांग, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस और म्यांमार में रोमिंग सुविधाओं का उपयोग करने वाले भारतीय मोबाइल नंबरों का डेटा भी उपलब्ध कराने को कहा गया है. इसने एक सूत्र के हवाले से कहा कि इस साल अप्रैल-जून में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 600,000 ऐसे फोन रोमिंग में थे.