झारखंड » हजारीबागPosted at: नवम्बर 30, 2024 सावधान! कहीं अस्पताल में डॉक्टर न कर रहे हो आपको गलत दवा प्रिस्क्रिराइब
हजारीबाग के विष्णुगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का मामला आया सामने, डाक्टर ने स्वीकारी गलती
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: डॉक्टर को धरती पर दूजा भगवान का दर्जा प्राप्त हैं. बीमार हालत में लोग मरीज को लेकर अथवा खुद चल कर मरीज अस्पताल पहुंचते हैं. पैसे और रसूखदार बड़े प्राइवेट अस्पताल जाते हैं. मगर गरीब परिवार का लोग प्रायः सरकारी अस्पताल मर्ज ठीक कराने पहुंचता हैं. यदि डॉक्टर ने गलत दवा की सलाह दे दी तो मर्ज ठीक होने की बजाय मर सकता हैं. शुक्रवार की विष्णुगढ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ओपीडी मे कुछ ऐसा ही नजारा दिखा. डयूटी पर तैनात डॉक्टर योगेंद्र ने एक डायविटीज मरीज को ऐसी दवा लिख दी जो मेडिसिन की दुनिया से बाहर हैं. मरीज का शुगर लेबल अस्पताल के जांच में 293 बताया गया. डॉक्टर ने मरीज को ग्लाइसिफेज जी पी वन लिखो. दवा की कई दुकान में ये दवा मरीज को नहीं मिली.
प्रमोद मेडिकल हाल पहुंचने पर बताया गया कि शुगर के लिए ग्लाइसिफेज पीजी वन दवा आती है, जीपी वन नहीं. दुकान संचालक प्रमोद ने संबंधित डॉक्टर को फोन लगाया. डॉक्टर का जवाव आया, गलती से पीछे का शब्द आगे लिखा गया होगा, इसके पहले मरीज को अस्पताल में इलाज के लिए झंझावातों का सामना करना पड़ा. हुआ यू कि दोपहर बाद तकरीचन डेढ़ बजे डॉक्टर का चैम्बर खाली था. पूछने पर बताया गया कि बच्चे को लेने डॉक्टर स्कूल गए हैं. इस दौरान अन्य मरीज डॉक्टर के आने का इन्तजार करते दिखे. पर्ची लिखने वाली अस्पताल की महिला अटेंड खूप सेकती नजर आई. वहीं डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बाद दवा काउंटर में मरीजों को इन्तजार करना पड़ा. सिकंदर नामक कर्मी नदारद था. डॉक्टर ने दूसरे कर्मी को बुलाकर दवा दिलाई. पूरे मामले के बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अरुण कुमार सिंह से पूछने पर बताया शुगर की दवा जीपी वन नहीं पीजी वन आती हैं.