बाबू राम नारायण सिंह का व्यक्तित्व और कृतित्व सदा देशवासियों का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा: के.सी. मेहरोत्रा
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: महान स्वाधीनता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह की 140 वीं जयंती पर स्थानीय स्वर्ण जयंती पार्क में सागर भक्ति संगम के तत्वधान में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों ने महान योद्धा बाबू राम नारायण सिंह की तस्वीर पर पुष्प अर्पित की.इस अवसर पर संगम के सदस्यों ने एक प्रस्ताव पारित कर देश के माननीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, जिसमें यह मांग किया कि महान स्वाधीनता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह की एक आदमकद प्रतिमा हजारीबाग में लगाई जाए. मुख्य अतिथि शिक्षाविद के.सी. मेहरोत्रा ने कहा कि बाबू राम नारायण सिंह स्वाधीनता आंदोलन के अप्रतिम योद्धा थे. उनका व्यक्तित्व और कृतित्व सदा देशवासियों का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा. वह आजीवन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे. उन्होंने सदा अन्याय प्रतिकार किया था. उनका व्यक्तित्व और कृतित्व देखने से प्रतीत होता है कि वह एक महापुरुष थे. वह पृथक झारखंड निर्माण के पक्षधर रहे थे. यह मेरा सौभाग्य रहा कि बाबू राम नारायण सिंह को देखने और सुनने का मौका मिला था. आज की बदली राजनीतिक परिस्थिति में देश के नेताओं को बाबूराम नारायण सिंह के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए.
अध्यक्षता करते हुए संगम के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि बाबू राम नारायण सिंह के जीवन से हम लोगों को सबक लेनी चाहिए. वह सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतिमूर्ति थे. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत की आजादी के नाम कर दिया था. बाबू राम नारायण सिंह के सुपौत्र डॉ प्रमोद सिंह ने कहा कि बाबू राम नारायण सिंह का संपूर्ण जीवन भारत की आजादी के संघर्ष और देश की आजादी के बाद आजाद भारत की रक्षा के इर्द-गिर्द घूमता हैं. उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में दस वर्ष जेल में बिताए थे. वह देश के पहले नेता थे, जो दस वर्षों तक आजादी के संघर्ष में जेल में बंद रहे थे. उनका संसदीय कार्यकाल तीस वर्षों का था. उन्होंने स्वार्थ की राजनीति कभी नहीं की बल्कि त्याग और बलिदान का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो सदैव लोगों को प्रेरित करता रहेगा. उन्होंने प्रधानमंत्री पद के नाम की जगह प्रधान सेवक नामकरण का सुझाव दिया था. समाजसेवी सतीश होर्रा ने कहा कि बाबू राम नारायण सिंह का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों बेमिसाल था इसलिए बाबू राम नारायण सिंह की जीवनी को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाए. आयोजित कार्यक्रम में मनोज गुप्ता, अजीत गुप्ता, मनीष होर्रा, कृष्ण मुरारी गुप्ता, राणा राहुल प्रताप, बीना अखौरी, उषा सहाय, गोपी कृष्ण सहाय, इंद्र सोनी, अजीत विश्वकर्मा, बैजनाथ जायसवाल, शंभू शरण सिंह, अशोक राणा, महावीर ठाकुर, अखिलेश सिंह, सुरेश मिस्त्री आदि सम्मिलित हुए.