प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: प्रशासनिक हल्के में यह सवाल उठ रहा है कि क्या लोकनायक जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारा, हजारीबाग का प्रशासन गलत कामों में शामिल हैं. क्या हजारीबाग जेल आउट ऑफ कंट्रोल हो गया हैं. इन सवालों की वजह गत 12 दिसंबर को जेल आईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल का वह आदेश है, जिनमें कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं. जेल आईजी सुदर्शन मंडल ने अपने आदेश में आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें सहायक जेल आईजी हामिद अख्तर और प्रोबेशन पदाधिकारी चंद्र मौलि सिंह को शामिल किया गया हैं. मिली जानकारी के अनुसार, कमेटी ने हजारीबाग जेल जाकर वहां के बंदियों व कर्मियों की मौत के कारणों की जांच की हैं. जेल आईजी ने अपने आदेश में लिखा है कि हजारीबाग कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार से जब भी कोई जांच रिपोर्ट मांगी जाती है तो वह आधे-अधूरे और बिना तथ्य के रिपोर्ट भेजते हैं.
सुजीत सिन्हा जेल के भीतर से वसूल रहा रंगदारी
एक अन्य तथ्य यह है कि कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा अभी हजारीबाग जेल में बंद हैं. इससे पहले वह खूंटी जेल में बंद था. सुजीत सिन्हा जब तक खूंटी जेल में बंद था, तब तक उसके द्वारा रंगदारी मांगे जाने का मामला सामने नहीं आ रहा था.
कक्षपाल चंदन तिवारी की भूमिका संदिग्ध
प्राप्त जानकारी के अनुसार हजारीबाग जेल में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें कक्षपाल चंदन तिवारी की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही हैं. हजारीबाग जेल के अधीक्षक जितेंद्र कुमार और चंदन तिवारी पहले केंद्रीय कारा मेदिनीनगर में ही पदस्थापित थे. जितेंद्र कुमार की सिफारिश पर चंदन तिवारी को हजारीबाग जेल में स्थानांतरित किया गया था. चंदन तिवारी के हजारीबाग जेल में आने के बाद से ही बहुत सारी घटनाएं घटी हैं.
अब तक चंदन तिवारी को नहीं किया गया विरमित
प्राप्त जानकारी के मुताबिक भूतपूर्व सैनिक कक्षपाल चंदन तिवारी की संदिग्ध गतिविधियों की वजह से जेल आईजी ने गत 13 दिसंबर को उसका तबादला मंडल उपकारा बरही में कर दिया था लेकिन अभी तक उसे विरमित नहीं किया गया है जबकि अन्य कक्षपालों को बरही स्थित मंडल उपकारा के लिए विरमित कर दिया गया हैं. इस संबंध में जेपी केंद्रीय कारा हजारीबाग के काराधीक्षक जितेंद्र कुमार से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.