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बाहरागोड़ा/डेस्क: दिशुवा जाहेर गाड़ बहरागोड़ा में आदिवासी विकास समिति और बाहाबोंगा कमेटी की ओर से बाहा बोंग पर्व का भव्य आयोजन किया गया. इस अवसर पर आदिवासी संस्कृति और परंपरा की झलक देखने को मिली.
पूजा-अर्चना और बाहा नृत्य से सजी शाम
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह जाहेरगाड़ में पूजा-अर्चना से हुई, जहां नायके मानसिंह सोरेन ने विधि-विधान से पूजा संपन्न कर सुख-समृद्धि की कामना की. शाम 4 बजे से पारंपरिक बाहा नृत्य का आयोजन किया गया, जिसमें धमसा और मांदल की गूंज के बीच पुरुषों और महिलाओं ने सामूहिक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
अतिथियों का स्वागत और पूजन
शाम को मुख्य अतिथि विधायक समीर महंती, विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक लक्षण टुडू, थाना प्रभारी ईश्वर दयाल मुंडा, सीओ राजा राम मुंडा, झामुमो प्रखंड अध्यक्ष असित मिश्रा, निर्मल दुबे, तपन ओझा, श्याम मुर्मू , मुखिया शिवचरण हांसदा, सुमित माईती, मदन मानना समेत कई गणमान्य व्यक्ति पहुंचे. कमेटी की ओर से अतिथियों को आदिवासी परंपरा के अनुरूप अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया. अतिथियों ने जाहेरगाड़ स्थल पर माथा टेककर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की.
विधायक समीर महंती ने कहा- "आदिवासी संस्कृति हमारी पहचान"
मुख्य अतिथि विधायक समीर महंती ने बाहा बोंगा पर्व को संबोधित करते हुए कहा, "आदिवासी संस्कृति हमारी पहचान है. यह पर्व प्रकृति के प्रति हमारी आस्था को दर्शाता है. हमारे पूर्वजों की परंपराओं को सहेजना और अगली पीढ़ी को सौंपना हमारा कर्तव्य है. सरकार आदिवासी समुदाय के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और हरसंभव सहयोग करेगी."
पूर्व विधायक लक्षण टुडू बोले- "संस्कृति से ही समाज की पहचान"
पूर्व विधायक लक्षण टुडू ने अपने संबोधन में कहा, "बाहा बंग पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है. हमें इसे सहेजने और समाज में एकता बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहिए."
मांदल की थाप पर थिरके नेता
पर्व की उमंग ऐसी थी कि विधायक समीर महंती और पूर्व विधायक लक्षण टुडू भी खुद को रोक नहीं सके और मांदल की थाप पर झूमकर नृत्य किया. इस दृश्य ने पूरे माहौल को और जीवंत बना दिया.
गणमान्य लोग रहे उपस्थित
कार्यक्रम में गुरुचरण मांडी, सोमाय हांसदा, दुर्गा प्रसाद हांसदा, शीतल हेंब्रम, गोबिंद सोरेन, कालीपद सोरेन, सरला मांडी, मिथुन कर सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित रहे.
बाहा बोंगा पर्व के इस आयोजन ने एक बार फिर आदिवासी संस्कृति और परंपरा की जीवंत झलक प्रस्तुत की, जहां पारंपरिक नृत्य, संगीत और उल्लास से पूरा माहौल गूंज उठा.