पैसा भी आपका, account भी आपका और फिर penalty भी आप ही भरे..
न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: बैंक में खाता भी आप खोलते हैं, और फिर पैसा भी आप ही जमा करते है. इसके बाद बैंक उसी पैसे को loan के तौर पर बांटकर ब्याज से कमाई करते है. इसके साथ ही जब भी जरुरत पड़ती है तो आप अपना पैसा निकाल लेते है और फिर मिनिमम बैलेंस की शर्त को पूरा करने से चूक जाते हैं. ऐसे में बैंक आपसे 300 से 600 रुपए तक जुमार्ना वसूल करते है. ‘Minimum Balance’ के नाम पर इस तरह बैंकों की लूट जारी है. इसी क्रम में सरकारी बैंक PNB ने तो 1,538 करोड़ रुपए की वसूली करके एक रिकॉर्ड ही बना दिया है.
हाल ही में बैंकों की एक रिपोर्ट सामने आई है. इसमें ये पता चला कि बीते 5 सालों में बैंकों ने मिनिमम बैलेंस नहीं रखने के चलते अपने ग्राहकों से करोड़ो रुपए की वसूली की है. वहीं SBI ने कुछ साल पहले काफी negative publicity की वजह से इस तरह के चार्जेस वसूलना बंद कर दिया था.
Punjab National Bank ने वसूले 1538 करोड़ रुपए
अगर PNB की बात की जाए तो बीते 5 सालों में 'No Minimum Balance’ के नाम पर ग्राहकों से 1,538 करोड़ रुपए की वसूली की है. इसके साथ ही Indian Bank ने 1,466 करोड़, Bank Of Baroda (BOB) ने 1,251 करोड़ रुपए और Canara Bank ने 1,158 करोड़ रुपए की वसूली ग्राहकों से की है.
क्या होता है Minimum Balance ?
देश के ज्यादातर बैंक खाते में एक निश्चित राशि रखने की उम्मीद अपने ग्राहकों से करते है. इसे ही minimum balance requirement कहा जाता है. मिनिमम बैलेंस नहीं होने पर बैंक लोगों से पेनल्टी की वसूली करते हैं. बताया जाता है कि बैंक खाते में आपको हमेशा मिनिमम बैलेंस नहीं रखना होता है, बल्कि आपको पूरे महीने में औसतन एक मिनिमम बैलेंस रखना होता है. इसके साथ ही इसे कई बैंक अपने ग्राहकों से तिमाही आधार पर भी मेंटेन रखने की उम्मीद रखते हैं.
ये चार्जेस भी आपसे बैंक वसूलते हैं
-सरकारी बैंकों में savings account में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर 100 रुपए से लेकर 300 रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. वहीं current account में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर 400 से 600 रुपए तक जुर्माना देना पड़ सकता है.
-वहीं बैंक आप से लोन और अकाउंट ओपनिंग के वक्त documentation चार्ज की वसूली करते हैं.
-बैंक से अगर आप अपने स्टेटमेंट की नकल या कोई कॉपी मांगते है, तब भी आपको शुल्क देना होता है.
-इसके साथ ही आप अगर किसी तरह के पेमेंट में डिफॉल्ट करते है तो आपको बैंक को जुर्माना देना होता है.
-वहीं आप अगर अपनी ओवरड्राफ्ट लिमिट से अधिक पैसा निकालते हैं, तो आपको बैंक को चार्ज पड़ता होता है.
-वहीं लोन के मामलों में बैलेंस शीट submit नहीं करने से लेकर पेपर्स के रिन्यूअल नहीं कराने तक आपको बैंक को चार्जेस देने होते हैं.