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रांची/डेस्क: भारतीय रेलवे ने ट्रेन सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज किया हैं. अब अगर ट्रेन के किसी पहिए की गति में अचानक कोई गड़बड़ी आती है, तब भी ट्रेन पटरी से नहीं उतरेगी. रेलवे ने Safe Wheel Device का सफल परीक्षण कर लिया है, जो ट्रेन के पहियों की गति में किसी भी असमानता को तुरंत पहचानकर उसे दुरुस्त करने की क्षमता रखता हैं.
यह डिवाइस ट्रेन की गति के दौरान एक्टिव होता है और पहियों की स्पीड में किसी भी अनियमितता को तुरंत रीड करता हैं. अगर कोई पहिया मानक गति से अधिक या कम चलता है, तो इस डिवाइस में लगे सेंसर उस गड़बड़ी को पहचानकर खुद-ब-खुद उसे ठीक कर देते हैं. इसके साथ ही, डिवाइस कंट्रोल सेंटर को एक संदेश भी भेजता है, जिससे ट्रेन स्टेशन पर पहुंचने के बाद मैन्युअल जांच की जा सके. अगर कोई तकनीकी समस्या पाई जाती है, तो उसे ठीक करने के बाद ही ट्रेन को आगे बढ़ने की अनुमति दी जाएगी.
Safe Wheel Device की स्थापना जल्द होगी
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस डिवाइस की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी है और इसका प्लान तैयार हो गया हैं. विभिन्न वर्कशॉप्स में बोगियों के पहियों पर एक-एक कर इसे स्थापित किया जाएगा. आरडीएसओ (Research Designs and Standards Organization) द्वारा डिजाइन किया गया यह सिस्टम जल्द ही ट्रेनों के पहियों में फिट किया जाएगा.
अक्सर होती है पहियों की चाल में गड़बड़ी
ट्रेन की बोगियों में चार पहियों का एक सेट लगा होता हैं. कभी-कभी तेज गति के कारण किसी एक पहिए की चाल असमान हो जाती है- यानी स्पीड या तो अधिक हो जाती है या फिर कम. इस असमानता से ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा बना रहता हैं. इससे कई बार गंभीर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इसे रोकने के लिए ही यह नया सिस्टम विकसित किया गया है, जिसमें सेंसर पहियों की गति को पहचानने के साथ ही तुरंत ठीक करने की क्षमता रखता हैं.
ब्रेक बाइंडिंग की समस्या भी होगी कम
ट्रेनों में अक्सर ब्रेक बाइंडिंग की घटनाएं सामने आती है, जिसमें पहियों में अत्यधिक घर्षण से धुआं उठने लगता हैं. यह नया सिस्टम ब्रेक बाइंडिंग की समस्या को भी पहचानने और नियंत्रित करने में सक्षम होगा. इस प्रकार यह तकनीक न केवल पहियों की गति को नियंत्रित करेगी, बल्कि ब्रेक बाइंडिंग की घटनाओं को भी काफी हद तक कम कर देगी.
रेलवे का यह कदम संरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का सूचक हैं. यह डिवाइस न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि ट्रेन परिचालन में भी सुगमता लाएगा.