न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: पिछले पांच सालों में भारत में आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की कीमतों में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट सामने आई है. इस समय देश में कच्चे तेल की कीमत में 70 डॉलर प्रति बैरल से भी औसत रूप से कम खर्च हो रहा है. साल 2021 के बाद यह पहली बार है कि कच्चे तेल के ऊपर इतने कम पैसे चुकाने पड़ रहे है. बता दें कि सोमवार 14 अप्रैल को बेंट क्रूड 65 डॉलर से भी नीचे चला गया था. ऐसे में देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत देखने को मिल सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार को 69.39 डॉलर प्रति बैरल कच्चे तेल के आयात पर औसत रुप से खर्च हुआ. यह पिछले साल के अप्रैल महीने में खर्च किए गए 89.44 डॉलर से 22 प्रतिशत कम है. अभी इसकी ऑफिशियल डेटा को अपडेट नहीं किया गया है. क्योंकि सोमवार 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती थी. इस कारण से देशभर में छुट्टी का दिन था. मिली जानकारी के अनुसार वैश्विक रफ्तार में कमी और ट्रेड वॉर की तनाव के बीच मांग में कमी के चलते कच्चे तेल की कीमतों में आने वाले दिनों में और भी कम हो सकती है.
तेल फर्म के एग्जीक्यूटिव और इस क्षेत्र के एक्सपर्ट से मिली जानकारी के अनुसार अपने प्रसंस्कृत कच्चे तेल का 87 फीसदी से ज्याजा आयात भारत करता है. इसके साथ बता दें कि रिफाइनिंग व्यवसाय में कच्चा तेल प्रमुख कच्चा माल है. यह कुल लागत का कुल 90 प्रतिशत है. रायटर्स ने अपनी रिपोर्ट में सोमवार को कहा था कि इस साल कच्चे तेल की औसत कीमत Goldman Sachs ने 63 डॉलर प्रति बैरल पर बने रहने की उम्मीद की है. इसमें उन्होंने आगे कहा कि निर्यात देशों के संगठन ओपेक ने अगले साल और इस साल के लिए तेल की मांग की कमी का अनुमान लगाया है.
वहीं, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वियेना के ओपेक के सचिवालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कार्टेल ने इस साल और अगले साल के लिए कच्चे टेक की मांग को लेकर वृद्धि अनुमानों को लगभग 100,000 बैरल प्रतिदिन कम कर दिया है. इसका मतलब यह है कि प्रत्येक वर्ष 1.3 मिलियन बैरल या फिर करीब 1 प्रतिशत मांग की कमी में वृद्धि का अनुमान लगाया है.
आपको बता दें कि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 7 अप्रैल को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी का ऐलान करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि 45 दिनों का तेल का स्टॉक तेल कंपनियों ने रखा. इस कारण से उन्हें प्रति बैरल 75 डॉलर का खर्च हुआ है. ऐसे में उन्होंने आगे कहा कि जब कच्चे तेल की कीमत जब घटकर 60 से 65 डॉलर प्रति बैरल आ जाएगी, तब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेल कंपनियों के पास विकल्प रहेगा.