झारखंड » हजारीबागPosted at: दिसम्बर 27, 2024 जमीन पर अवैध कब्जे, अवैध कोयला, बालू और ईट भट्टों के दम पर तैयार हुआ हजारीबाग में माफियाओं का काला साम्राज्य
माफिया और अधिकारी हो रहे है मालामाल, राज्य को करोड़ों के राजस्व की हो रही है क्षति
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग जिले में अवैध बालू, अवैध कोयला, ईंट भट्टों और जमीन के अवैध कारोबार के दम पर माफियाओं का काला साम्राज्य तैयार हो गया हैं. जिसमें कोयला माफिया और अवैध ईंट व्यवसाय के कारोबारी अपने जुगलबंदी से राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का चुना लगा रहें है. इस खेल में कई विभागों के सरकारी बाबुओं की भी मिलीभगत हैं. अधिकारी नियम-कानून को ताक पर रखकर अपनी जेबें भर रहे हैं. यह काले कोयले का काला व्यवसाय ही है कि अवैध ईंट भट्टों में देश के कोयला भंडार का हजारों टन कोयला फूंक दिया जा रहा हैं. इतना ही नहीं भट्टा के संचालन में कोयला मिट्टी के साथ बालू भी महत्वपूर्ण हैं. जहां ईंट भट्टों में बालू आसानी से पहुंच रहा हैं. वहीं आम लोगों के उपयोग के लिए चालू का भी किल्लत हैं.
अवैध कोयला और अवैध बालू की मदद से संचालित इन अवैध ईट भट्टों में मजदूरों और पर्यावरण को भी ठेंगे पर रखा जा रहा हैं. जंगल काटकर मिट्टी का उठाव और बड़े पैमाने पर कोयला जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का यह खेल खनन विभाग की मिली भगत से चल रहा हैं. जिसे मौन समर्थन अन्य विभागों से भी प्राप्त हैं. ऐसे में भले राजस्व को नुकसान पहुंच रहा हो पर इस अवैध कोयले की बदौलत भट्टा संचालक और उनके सहयोगी मालामाल हो रहे हैं. बड़कागांव और चुरचू प्रखंड में इन दिनों अवैध कोयला से ईंट भट्टों का हब बना हुआ हैं. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अवैध कोगले और बालू के दम पर सुलग रहे ईंट भट्टों को तय नियम के अनुसार संचालित करने के अभियान पर आखिर क्यों नहीं ध्यान है? दूसरी ओर बालू उठाव से सभी नदियों का अस्तित्व खतरे में है, नदी से बालू उठाव के कारण जल स्तर इतना नीचे जा रहा है कि आने वाला समय में पानी के लिए क्षेत्र में हाहाकार मचेगा. पूर्व में बने कुआं अभी से ही सूखने लगे हैं हर जगह डीप बोरवेल से भी पानी पाताल में चला गया हैं. छोटे-मोटे किसान कुआं में पानी नहीं रहने के कारण क्षेत्र खेती करना मुश्किल सा हो गया हैं. काम नहीं मिलने से बेरोजगार हो गए भरण पोषण के लिए क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं.