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रांची/डेस्क: चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ आज से हो चुका हैं. नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा की जाती हैं. इस दिन भक्त श्रद्धा और आस्था के साथ मां की आराधना करते है और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. नवरात्रि का यह पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं. नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना जिसे कलश स्थापना (Kalash Sthapana) भी कहा जाता हैं. इसके अलावा कई लोग अखंड ज्योति भी जलाते हैं. इन 9 दिनों में भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की भक्ति भाव से पूजा करते हैं. माना जाता है जो भक्त मां कि भक्ति और श्रद्धा से आराधना करते हैं, उनके घर में मां दुर्गा 9 दिनों तक विराजमान रहती है और उनपर अपनी कृपा बरसाती हैं. नवरात्रि के 9 दिनों को बेहद ही पावन माना जाता हैं. नौ दिनों तक मास, शराब आदि का सेवन नहीं किया जाता हैं. कई लोग इन 9 दिनों तक प्याज, लहसुन का भी सेवन नहीं करते हैं. आइए जानते है मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग और आरती के बारे में.
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घर में घट स्थापना का विशेष महत्व होता हैं. शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर भगवन गणेश की पूजा के बाद अखंड ज्योत प्रज्जवलित करें. इसके बाद षोडोपचार विधि से मां शैलपुत्री की पूजा करें. पूजा में सफेद चंदन, कुमकुम, सिंदूर, हल्दी, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग, नारियल, 16 श्रृंगार सामग्री, सफेद रंग के फूल और सफेद मिठाई का भोग का प्रयोग करें. इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें.
मां शैलपुत्री का प्रिय रंग और भोग
मां शैलपुत्री को सफेद रंग अत्यंत प्रिय हैं. अत: पूजा में सफेद रंग के वस्त्र पहनना और सफेद फूल अर्पित करना शुभ माना जाता हैं. भोग में विशेष रूप से खीर, रसगुल्ले और पताशे, गाय के घी से बनी मिठाई अर्पित करने से माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती हैं.
मां शैलपुत्री के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
उपासना मंत्र
वन्देवांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
कवच पाठ
ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।
हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।
हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्रीमां बैल असवार.
करें देवता जय जयकार.
शिव शंकरकीप्रिय भवानी.
तेरीमहिमा किसी ने ना जानी.
पार्वतीतूउमा कहलावे.
जो तुझेसिमरे सो सुख पावे.
ऋद्धि-सिद्धिपरवान करे तू.
दया करे धनवानकरे तू.
सोमवारकोशिव संग प्यारी.
आरतीतेरी जिसने उतारी.
उसकीसगरी आस पुजा दो.
सगरेदुख तकलीफ मिला दो.
घी का सुंदरदीप जला के.
गोलागरी का भोग लगा के.
श्रद्धाभाव से मंत्र गाएं.
प्रेमसहित फिर शीश झुकाएं.
जय गिरिराजकिशोरी अंबे.
शिव मुख चंद्रचकोरी अंबे.
मनोकामनापूर्ण कर दो.
भक्तसदा सुख संपत्ति भर दो.