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रांची/डेस्क: चैत्र नवरात्रि 2025 का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए समर्पित हैं. यह दिन साधना, संयम और शक्ति का प्रतीक माना जाता हैं. मां ब्रह्मचारिणी तप और ज्ञान की देवी है, जो अपने भक्तों को संयम और आत्मशक्ति प्रदान करती हैं. उनकी पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है और जीवन में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं. आइए जानते है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और भोग के बारे में.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप और महत्व
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप अत्यंत सौम्य और दिव्य हैं. वे दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं. उनका यह स्वरुप ज्ञान, वैराग्य और साधना का प्रतीक हैं. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति को धैर्य, आत्मसंयम और अद्भुत शक्ति प्राप्त होती हैं.
कैसे पड़ा मां का नाम ब्रह्मचारिणी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवन शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. उन्होंने हजारों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर तपस्या की और कुछ समय तक केवल बेल पत्र पर ही निर्वाह किया. कठिन साधना के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाने लगा. उनकी यह तपस्या आज भी भक्तों के लिए प्रेरणादायक मानी जाती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- प्रात: काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें और दीप प्रज्जवलित करें.
- मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र के सामने सफेद या पीले फुल अर्पित करें.
- भोग के रूप में मां को चीनी और मिश्री का भोग अर्पित करें.
- मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करें.
- घी और कपूर का दीप जलाकर मां की आरती करे.
- अंत में दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें और माता का आशीर्वाद प्राप्त करें.
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
अर्थात् जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6:15 बजे से 8:30 बजे तक और संध्या काल में 6:45 बजे से 8 बजे तक रहेगा. इस समय पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती हैं.
भोग और प्रिय रंग
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद और पीले रंग बहुत प्रिय हैं. पूजा में सफेद पुष्प और पीले वस्त्रों का प्रयोग करें. चीनी, मिश्री और पंचामृत अर्पित करें. इससे माता प्रसन्न होती है और आयु, स्वास्थ्य एवं सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।