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रांची/डेस्क: चैत्र नवरात्रि का आज् अंतिम दिन है और इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के नवमं स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं. मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी कहा जाता है, जो अपने भक्तों को यश, बल, ज्ञान और समृद्धि प्रदान करती हैं. कहते है मां की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप प्रदान किया था. वे सभी आठ सिद्धियों - अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- की दात्री हैं.
कैसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र पहनें.
- मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.
- सफेद या बैंगनी वस्त्र पहनाएं और सफेद पुष्प अर्पित करें.
- मां को रोली, कुमकुम, अक्षत और मिष्ठान अर्पित करें.
- मौसमी फल, खीर, पुड़ी, चना, हलवा, नारियल का भोग लगाएं.
- मां की आरती करें और मंत्रों का जाप करें.
- अंत में कन्या पूजन करें, जिसमें 9 कन्याओं और 1 बालक को भोजन कराया जाता हैं.
शुभ मुहूर्त
महानवमी तिथि समाप्ति: शाम 7:22 बजे तक
पूजन का अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक
मां सिद्धिदात्री मंत्र जाप
पूजा मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
मां सिद्धिदात्री स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां सिद्धिदात्री ध्यान
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।