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रांची/डेस्क: माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना का पर्व यानी चैत्र नवरात्र आने वाला है. चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से होने वाली है. इस दिन कलश स्थापना की जाएगी. सर्वार्थ सिद्धि योग में इस बार मां जगदंबे की आराधना होगी. आपको बता दें कि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होगी. इस बार मां का आगमन हाथी पर होगा. इस बार चैत्र नवरात्र में मां जगदंबे की पूजा-अर्चना 30 मार्च से 7 अप्रैल तक की जाएगी. ऐसे में 30 मार्च को घट स्थापित होगी और पहला व्रत भी रखा जाएगा.
घट स्थापना के दिन यानी 30 मार्च को मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. ऐसे में 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी. चैत्र नवरात्र को लेकर मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई है. ऐसे में रंग-रोगन और साफ-सफाई का काम चल रहा है. वहीं घरों की बात करें तो कई सारे घरों में भी चैत्र नवरात्र को लेकर तैयारी शुरू हो गई है.
हाथी पर होगा मां का आगमन
आपको बता दें कि इस साल छात्र नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही है. हाथी पर अगर मां दुर्गा का धर्मी आगमन होता है तो इसे शुभ संकेत माना जाता है. हठी पर मां का आगमन अगर होता है तो इससे धन-धान्य में वृद्धि होती है. वहीं अगर मां दुर्गा के प्रस्थान की बात करें तो उनका प्रस्थान 7 अप्रैल को हठी पर ही होगा. ऐसे में इस शुभ अवसर मां दुर्गा की पूजा करने पर मनोकामनाएं सिद्ध हो सकती है. अगर पंचांग के अनुसार देखा जाए तो इस बार के चैत्र नवरात्रि में 9 दिन के बजाय 8 दिन ही नवरात्रि है. पंचमी तिथि का छाये रहने के कारण इस साल नवरात्रि में एक दिन कम हो रहा है.
कलश स्थापना का क्या है मुहूर्त?
किसी भी पूजा का संकल्प कलश स्थापना होता है. ऐसे में हर विशेष पूजा के पहले कलश की स्थापना की जाती है. ऐसे में कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य होता है. चैत्र नवरात्र में कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाएगी. ऐसे में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 06.13 से 10.22 बजे तक का है. वहीं दोपहर 12.01 से 12.50 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है.