प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: केरेडारी क्षेत्र में जब कोल कंपनियां आई थी तो लोगों को उम्मीद थी कि स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, क्षेत्र का समुचित विकास होगा और आम जनता के दिन बहुरेंगे लेकिन देखा जाए तो वर्तमान स्थिति इसके ठीक विपरीत है. क्षेत्र में संचालित चट्टी बरियातू कोयला खनन परियोजना से भारी वाहन हाइवा से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग पब्लिक सड़क से धड़ल्ले से लगातार जारी है. अभी जिस सड़क से कोयले की ढुलाई हो रही है वह सड़क मात्र 10 से 15 फीट चौड़ी है, जोरदाग से लबनिया मोड़ तक का यह सड़क आम जनता के आवागमन हेतु उपयोग होता था.
कुछ वर्ष पूर्व लोग मॉर्निंग वाक करने थे, लेकिन वर्तमान में इस सिंगल सड़क से रोजाना सैकड़ों कोयला लदे भारी वाहनों का परिचालन किया जा रहा है, जिससे सड़क का अस्तित्व खतरे में है. अभी इस सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं. बाइक सवार तो छोड़िये लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. जोरदाग से केरेडारी व टंडवा जाने वाले वाले ग्रामीण भी दहशत में हैं कि पता नहीं कब अंतिम समय आ जाए. इस सड़क के दोनों ओर कोयले के धूल की मोटी परत भी जम गई है, जिससे वातावरण भी दूषित हो चुका है, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर हो रहा है. वहीं वैसे किसान जो सिर्फ खेती कर जीविकोपार्जन करते थे.
उन्हें भी अब परिवार के भरण पोषण के लिए सोचना पड़ रहा है, क्योंकि कोयले की धूल की मोटी परत जम जाने से अनाज के उपज पर विपरीत असर पड़ा है. पब्लिक सड़क व लबनिया मोड़ से डमहाबागी स्थित तिन मुहान चौक तक कोयले की ट्रांसपोर्टिंग के दौरान हाइवा चालक बेहद अनियंत्रित व तीव्र गति से गाड़ियां चलाते हैं, जिससे आये दिन लगातार सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है. हद तो तब हो जाती है जब मौत के बाद जान की कीमत चंद रूपये से लगा दी जाती है. सड़क दुर्घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि होने पर केरेडारी सीओ रामरतन कुमार बर्णवाल कई दफा हाइवा चालकों को नियम संगत वाहन चलाने का सख्त हिदायत भी दे चुके हैं. कुछ दिन स्थिति सुधरता भी है, लेकिन फिर वही मनमानी शुरू हो जाती है.