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बिहार,बंगाल व झारखंड के इन इलाकों को अलग किए जाने की मांग! ये हैं इसके पीछे का कारण..

ये है गोड्डा सासंद निशिकांत दुबे का दावा
बिहार,बंगाल व झारखंड के इन इलाकों को अलग किए जाने की मांग! ये हैं इसके पीछे का कारण..

न्यूज11 भारत


रांची/डेस्कः- बीजेपी से गोड्डा के सांसद ने बिहार बंगाल और झारखंड के कुछ इलाकों को अलग कर केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग कर दी है. उन्होने कहा कि इन इलाकों में आदिवासियों कि संख्या घट रही है. वहीं मुस्लिमों की संख्या बढ़ रही है. आखिर किस आधार पर बनते हैं केंद्रशासित प्रदेश आइए जानते हैं. लोकसभा सासंद ने कहा कि संथाल परगना में बांगलादेशी घुसपैठी बढ़ते जा रहे हैं. पश्चिम बंगाल के मालदा ,मुर्शिदाबाद बिहार का किशनगंज अररिया, कटिहार और झारखंड के संथाल परगना को मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए. यहां एनआरसी लागू करने की भी बात की गई है. 

 

बता दें कि संथाल परगना क्षेत्र मे कुल 6 जिले आते हैं. देवघर, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड, साहिबगंज और दुमका. सांसद ने दावा किया कि बांगलादेशी घुसपैठिए इन इलाकों में आकर यहां कि आदिवासी महिला से शादी करते हैं और पंचायत से लेकर सासंद तक के टिकट पर चुनाव लड़ने का अपना रस्ता साफ कर लेते हैं. उन्होने कहा कि क्षेत्र में लगभग 100 पंचायतों में वहां के प्रधानों के पति मुस्लिम है. यह कोई हिन्दु मुस्लिम मामला नहीं हैं बल्कि बाहरी लोगों का यहां पर आकर बस जाने का मामला है. दुबे ने कहा कि दिन प्रतिदिन इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है. दुबे ने कहा कि 2000 में झारखंड अलग हुआ तब संथाल परगना में 36 प्रतिशत आदिवासी आबादी थी जो अभी घटकर 26 प्रतिशत हो गई है. उसने दावा किया कि राज्य की 25 विधानसभा सीट पर वहां मुस्लिम वोटर की संख्या 110 से 125 प्रतिशत तक बढ़ गई है. 

किसी भी क्षेत्र को केंद्शासित प्रदेश बनाने के कई कारण होते हैं. जैसे वो इलाका भारत के मेनलैंड से दुर नहीं होना चाहिए पड़ोसी राज्य का हिस्सा नहीं होना चाहिए, जैसे लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार दोनों ही भारत के हिस्से हैं पर मेनलेंड से दूर हैं. इसके साथ ही अगर कोई क्षेत्र, क्षेत्रफल व आबादी के हिसाब से छोटा होता है व अलग राज्य देना कठिन हो जाता है ऐसे में केन्द्रशासित प्रदेश बना दिया जाता है. 

वही कुछ इलाकों को उनकी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए बनाया जाता है. राजनैतिक व प्रशासनिक कारण भी होते हैं. 

 

केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के तीन कारण-

भौगोलिक कारणः भारत के कुछ भाग मेनलेंड से काफी दूर है. आबादी व क्षेत्र फल भी वहां की काफी कम है, ऐसे में अलग राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के चलते उसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाता है.

 

सांस्कृतिक कारणः दादर नगर हवेली और दमन एँव दीव पुर्तगाली एंव पुडुचेरी में फ्रांस का काफी लंबे समय तक शासन रहा, ऐसे में उनकी सांस्क-तिक पहचान बनाए रखने के लिए केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया. 

 

राजनैतिक कारणः केंद्रशासित प्रदेश बनने के प्रशासनिक व राजनैतिक कारण भी हैं. जैसे दिल्ली को अमेरिकी राजधानी वासिंगटन के जैसा हर राज्यों से अलग रखा गया. यहां कि अलग विधानसभा भी है. इसके अलावे जम्मू व पुडुचेरी में भी अपनी विधानसभाएं हैं. 

 

केंद्रशासित प्रदेशों में सीधा राष्ट्रपति का हस्तक्षेप होता है, उन्हीं के द्वारा उपराज्यपाल व प्रशासक नियुक्त होतें हैं. वैसे भी संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति हर काम कैबिनेट के अनुसार की करते हैं इस लिए यहां केंद्र सरकार का ही शासन होता है. दिल्ली, पुडुचेरी, जम्मू में उपराज्यपाल होते हैं वहीं दादर नगर हवेली लद्दाख, चंडीगढ़ जैसे क्षेत्रों में प्राशासक होते हैं. 

 


 

 
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