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रांची/डेस्क: रविवार, 1 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.1 मापी गई है. यह झटके सुबह 9:12 बजे महसूस किए गए. अभी तक इस भूकंप से किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है. हालाँकि, भूकंप के कारण समुद्र में ऊंची लहरें उठने और सुनामी का खतरा पैदा हो सकता है, लेकिन अभी तक इस तरह का कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है.
अमेरिका के 'यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे' (यूएसजीएस) के अनुसार, भूकंप का केंद्र अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के परका गांव से 135 किलोमीटर दूर समुद्र में था. भूकंप का केंद्र समुद्र तल से 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था. यूएसजीएस ने अभी तक 'ऑफ्टर शॉक्स' यानी भूकंप के बाद आने वाले झटकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. चूंकि भूकंप का केंद्र अंडमान के करीब था, इसलिए वहां भी हल्के झटके महसूस किए जा सकते हैं.
अप्रैल में भी आया था भूकंप
यह पहला मौका नहीं है जब बंगाल की खाड़ी में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इससे पहले, इसी साल अप्रैल में भी यहां भूकंप के झटके रिकॉर्ड किए गए थे. 11 अप्रैल को बंगाल की खाड़ी में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था. उस समय भी भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर था। हालांकि, उस भूकंप से भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ था. बंगाल की खाड़ी में अक्सर भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं, लेकिन जब तीव्रता अधिक होती है, तो पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी इसका असर महसूस किया जा सकता है.
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता का मतलब
रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता को मापने का पैमाना है, जो 1 (सबसे कम) से 10 (सबसे अधिक) तक की तीव्रता के भूकंप को मापता है. यदि किसी भूकंप की तीव्रता 1.0 से 2.9 के बीच है, तो इसे बहुत कम तीव्रता वाला माना जाता है. 3.0 से 3.9 तीव्रता वाला भूकंप छोटा, 4.0 से 4.9 तीव्रता वाला हल्का, 5.0 से 5.9 तीव्रता वाला गंभीर, 6.0 से 6.9 तीव्रता वाला जबरदस्त, 7.0 से 7.9 तीव्रता वाला बहुत जबरदस्त, और 8.0 या उससे अधिक तीव्रता वाला भूकंप बड़े झटके के रूप में मापा जाता है.
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स्थिति पर नज़र
हालांकि बंगाल की खाड़ी में आए इस भूकंप से फिलहाल किसी बड़े खतरे की संभावना नहीं जताई गई है, लेकिन विशेषज्ञ लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. समुद्र में आने वाले भूकंप कभी-कभी सुनामी जैसी आपदाओं का कारण बन सकते हैं, इसलिए सतर्कता बरतना जरूरी है. स्थानीय प्रशासन और भूकंप विज्ञान से जुड़े संगठन किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार हैं.