न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: ईद-मिलाद-उन-नबी आज है. इस्लाम धर्म में ईद मिलाद उन नबी पर्व का खास महत्व है. इस पर्व को इस्लाम धर्म के लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्म दिन के रूप में मनाते हैं. इस पर्व को ईद-ए-मिलाद का रूप में भी जाना जाता है.
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, यह पर्व हर साल रबी-उल-अव्वल के 12 वें दिन मनाया जाता है. इस साल में ईद-ए-मिलाद का त्योहार आज 16 सितंबर को मनाया जा रहा है. मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर लोग उन्हें याद करते हुए जुलूस निकालते हैं. इसके अलावा इस दिन जगह-जगह बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
पैगंबर मुहम्मद के जन्म से जुड़ा इतिहास
बता दें कि पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्म अरब से मक्का शहर में 571 ई. में हुआ था. कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद जब 6 वर्ष की अवस्था के थे तो उनकी माता का इंतकाल हो गया था. जिसके बाद उनके चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब ने उनकी परवरिश की. पैगंबर मुहम्मद के पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था. पैगंबर मुहम्मद साहब के पिता की मृत्यु उनके जन्म से हो चुकी थी. इस्लाम धर्म की मान्यता है कि अल्लाह ने ही सबसे पहले पैगंबर मोहम्मद को कुरान अता की थी. जिसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया को कोने-कोने में पहुंचाया.
इस्लाम में क्यों नहीं मिलती पैगंबर साहब की तस्वीर
लोगों के जेहन में अक्सर एक बात आती है कि इस्लाम में कहीं भी पैगंबर मोहम्मद साहब की तस्वीर क्यों नहीं मिलती है. चलिए आज बताते है कि इसके पीछे का कारण. इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद की तस्वीर नहीं मिलने के पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों से जुड़ा है. इस्लाम बुतपरस्ती यानी मूर्ति पूजा के खिलाफ है. इस्लाम के अनुसार, पैगंबर साहब की छवि या मूर्ति बनाना और उसे पूजना या विशेष स्थान देना इस्लाम की तौहीद की अवधारणा के खिलाफ माना जाता है. कुरान के 42वीं सूरे में कहा गया है कि अल्लाह ने ही धरती और स्वर्ग बनाए हैं. फिर कोई इंसान उस अल्लाह को कैसे किसी तस्वीर में कैद कर सकता है. इसलिए इस्लाम में पैगंबर साहब की कोई तस्वीर या प्रतिमा नहीं मिलती है.