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रांची/डेस्क: रमजान के पवित्र महीने के समापन के बाद आज पूरे देश में ईद-उल-फितर का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा हैं. इसे मीठी ईद भी कहा जाता हैं क्योंकि इस दिन विशेष रूप से सेवाइयां और अन्य मीठे पकवान बनाए जातेहैं. इस्लाम धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक ईद-उल-फितर आपसी भाईचारे, प्रेम और दान-पुण्य का संदेश देता हैं. इस दिन लोग मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं. एक-दूसरे को गले लगाकार 'ईद मुबारक' कहते है और गरीबों व जरुरतमंदों की मदद करते हैं. आइए जानते है इस पर्व का महत्व और इसका इतिहास.
क्यों मनाई जाती है ईद-उल-फितर?
ईद-उल-फितर का सीधा संबंध रमजान के महिनेसे है, जिसे इस्लाम धर्म में सबसे पाक महीना माना जात हैं. इसे महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोजा रखते है और संयम, इबादत व आत्मशुद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हैं. मान्यता है कि रमजान के दौरान पैंगबर मोहम्मद को पहली बार पवित्र कुरान का ज्ञान प्राप्त हुआ था. रमजान की समाप्ति के बाद शव्वाल महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है, जो अल्लाह का शुक्रिया अदा करने का दिन होता हैं.
कब और कैसे मनाया जाता है यह पर्व?
इस साल भारत में रमजान का चांद 2 मार्च 2025 को दिखा था, जिसके बाद 30 दिनों तक रोजे रखे गए. 30 मार्च की शाम को चांद नजर आने के बाद आज 31 मार्च को पूरे देश में ईद-उल-फितर का जश्न मनाया जा रहा हैं. मस्जिदों और ईदगाहों में विशेष नमाज अदा की जा रही है और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस खास दिन को मना रहा हैं.
ईद के खास पकवान और परंपराएं
ईद-उल-फितर को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन खासतौर पर मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं.
शीर खुरमा: खजूर, दूध, सेवई और मेवों से बना यह पारंपरिक पकवान ईद की खास पहचान हैं.
सिवाइयां: दूध और ड्राई फ्रूट्स से बनी मीठी सेवइयां हर घर में बनाई जाती हैं.
बिरयानी और कबाब: कई घरों में विशेष रूप से मटन या चिकन बिरयानी और कबाब भी बनाए जाते हैं.
भारत ही नहीं,सऊदी अरब, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, तुर्की, अमेरिका, ब्रिटेन सहित दुनियाभर के मुस्लिम ईद का जश्न बड़ी धूमधाम से मनाते है.