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रांची/डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भूपेश बघेल के कैबिनेट में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया है. इसके बाद उन्हें रायपुर के एक विशेष कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें 21 जनवरी 2025 तक ED के हिरासत में भेज दिया है. कवासी लखमा कोंटा से 6 बार के विधायक रह चुके है. उनकी उम्र 67 वर्ष है. उनके ऊपर 2,161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले का आरोप है. साल 2019 से 2023 के बीच में यह कथित घोटाला हुआ था. उस समय वह भूपेश बघेल के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे.
रायपुर के PMLA कोर्ट में ED ने कवासी लखमा को पेश किया था. वहां ED ने दावा किया कि पूर्व मंत्री को कथित घोटाले से 72 करोड़ रुपए मिले है. उन्होंने उस पैसे के कुछ हिस्से को अपने बेटे हरीश के लिए सुकमा में बन रहे घर में इस्तेमाल किया और कुछ हिस्सा कांग्रेस कार्यालय के निर्माण में लगा दिए. धन के स्रोत का पता लगाने के लिए ED ने अपने वकील सौरभ कुमार पांडे के जरिए कोर्ट से उन्हें हिरासत में लेने की मांग की. कवासी लखमा को 6 दिन के लिए ED के हिरासत में भेज दिया गया है. इस बात की पुष्टि उनके वकील फैसल रिजवी ने की है.
लखमा के ठिकानों में ED की छापेमारी
कवासी लखमा के गिरफ्तारी के करीब 15 दिन पहले ED उनके ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी.इसमें रायपुर में उनके आधिकारिक आवास के साथ उनके बेटे के सुकमा में बने आवास में भी छापेमारी की गई थी. यह मामला उन आरोपियों से जुदा है, जो एक अपराधिक गिरोह का हिस्सा है, वह आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध शराब की तस्करी सरकारी दुकानों में कर रहे थे. इसके अलावा वह लोग शराब की बिक्री में अवैध कमीशन भी ले रहे थे. ऐसे में उस गिरोह ने 2,161 करोड़ रुपए जमा किए है.
मै अनपढ़ हूं- कवासी लखमा
मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने 29 दिसंबर को यानी उनके गिरफ्तारी के एक दिन बाद कहा था कि इस घोटाले के बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता है. उन्होंने कहा था कि ED ने उनसे पूछा था कि क्या उन्हें इस घोटाले के बारे में पता है? इसके जवाब ने उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बारे में टीवी और अखबार में पढ़ा था. लेकिन यह मामला उनके संज्ञान में नहीं था. उन्होंने अपने सफाई में खा कि वह एक अनपढ़ आदमी है, उनके सामने जो भी कागजात रखे गए थे उनपर उन्होंने सिग्नेचर कर दिया था. ऐसे में उन्होंने आगे कहा कि उनके सिग्नेचर किस पर लिए गए उन्हें कुछ मालूम नहीं. कोर्ट को ED ने बताया कि इस घोटाले को लखमा में नहीं रोका. बल्कि उन्होंने सिंडिकेट के एक अभिन्न अंग के रूप में काम किया. उन्होंने 36 महीनों में अपनी भूमिका के बदले कुल 72 करोड़ रुपए मिले.