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रांची/डेस्क: पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी रैली को इजाजत कोलकाता हाईकोर्ट ने दे दी है. लेकिन कोर्ट कहा कि इस रैली में हथियारों की अनुमति नहीं रहेगी. इसके साथ इसमें बाइक रैली की भी अनुमति नहीं होगी. कोलकाता हाईकोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद, दुर्गा वाहिनी और अंजनी पुत्र सेना द्वारा की जाने वाली वाली रैली को अनुमति दी थी. बता दें कि इस रैली में 500 लोग शामिल होंगे. इस रैली में किसी भी प्रकार का हथियार या गोला-बारूद नहीं होगा. इसके अलावा इस रैली में बाइक या डीजे भी नहीं होगा. जीटी रोड के एक ही मार्ग पर सभी रैलियां होंगी. एसे मे पुलिस को स्थिति का ध्यान रखने को कहा गया है.
बता दें कि रामनवमी के अवसर पर पूरे देशभर की तरह हावड़ा में भी रैलियां और शोभायात्राएं निकालने की परंपरा है. हावड़ा में हाल के वर्षों में इसे लेकर विवाद भी हुआ था. ऐसे में इसाल भी इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था. सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस ने पिछले 15 वर्षों से जीटी रोड के रास्ते चली आ रही पारंपरिक रामनवमी शोभायात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया. ऐसे में पारंपरिक मार्ग पर रैली निकालने की अनुमति के लिए अंजनी पुत्र सेना नामक संगठन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बता दें कि विश्व हिंदू परिषद, दुर्गा वाहिनी और अनजानी पुत्र सेना के ओर से जिस रूट में रैली निकाली जाती थी. इस बार हावड़ा सिटी पुलिस ने रूट बदलने के निर्देश दिया था. यह बात संगठन को मंजूर नहीं थी. वह लोग पुराने रूट पर ही रामनवमी की शोभायात्रा निकालने की अनुमति मांग रहे थे.
इसे लेकर राम भक्तों का कहना है कि यह लगातार दूसरी बार है जब प्रशासन ने रामनवमी की जुलूस पर रोक लगाई है. यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि ममता बनर्जी की सरकार को ‘जय श्री राम’ के नारे से परेशानी है. वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामनवमी के अवसर पर शांति की अपील करते हुए कहा कि सभी को पूजा करने का अधिकार है. लेकिन दंगे जैसी स्थिति किसी को भी पैदा नहीं करनी चाहिए.
2022 में रामनवमी शोभायात्रा में भड़क गया था तनाव
बता दें कि साल 2022 में हावड़ा के शिवपुर इलाके में विश्व हिंदू परिषद द्वारा निकाली गई रैली के दौरान तनाव हो गया था. उस समय रैली पर पत्थरबाजी और हमले की खबर सामने आई थी. ऐसे में पुलिस पर लाठीचार्ज का आरोप भी लगाया गया था. इस घटना में कई लोग भी घायल हुए थे. ऐसे में उस समय ममता बनर्जी ने शांति बनाए रखने की अपील की थी. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इसे सनातन धर्म के खिलाफ कार्रवाई के रूप में पेश किया था.