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रांची/डेस्क: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पति-पत्नी को लेकर एक चौंकाने वाला फैसला लिया हैं. उन्होंने कहा कि यदि पति अपनी पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना अननेचुरल यौन संबंध बनाता है तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता हैं. इस फैसले ने एक बार फिर घरेलू और कानूनी मामलों पर बहस छेड़ दी हैं. न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की एकलपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए जगदलपुर के एक निवासी को बरी कर दिया, जिसे निचली अदालत ने बलात्कार, अननेचुरल यौन संबंध और हत्या के समान अपराधों के आरोप में दोषी ठहराया था.
क्या है पूरा मामला?
एक आरोपी 2017 में गिरफ्तार हुआ था, जब उसकी पत्नी की मौत के बाद उसके खिलाफ IPC की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अननेचुरल यौन संबंध) और 304 (हत्या के समान अपराध) के तहत आरोप लगाए थे. मृतक पत्नी ने अपनी मौत से पहले मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था कि उसके पति ने जबरन अननेचुरल यौन संबंध बनाए थे, जिससे वह बीमार हो गई थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि IPC की धारा 375 में 2013 में किए गए संशोधन के अनुसार, यदि पत्नी की आयु 15 वर्ष से अधिक है तो पति द्वारा पत्नी के साथ किया गया यौन संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा. इस वजह से पत्नी की सहमति के बिना किए गए अननेचुरल यौन संबंध को भी अपराध नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि IPC की धारा 377 (अननेचुरल यौन संबंध) पति-पत्नी के बीच लागू नहीं होती है क्योंकि 2013 में हुए संशोधन के बाद पति-पत्नी के बीच सहमति की कोई आवश्यकता नहीं हैं.
सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि इस मामले में कोई भी कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूत नहीं हैं. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण गवाहों के बयानों की अनदेखी की, जिनके अनुसार मृतका बवासीर से पीड़ित थी, जिससे उसे रक्तस्राव और पेट दर्द की समस्या थी.