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रांची/डेस्क: देशभर में रंगों का त्योहार होली बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार होली और होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. दरअसल, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करने की परंपरा है, लेकिन इस साल की तिथियों और खासकर भद्रा के कारण इस पर असमंजस की स्थिति बन गई है.
कब है होलिका दहन?
पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima 2025) का आरंभ 13 मार्च, सुबह 10:02 बजे से होगा और इसका समापन 14 मार्च, सुबह 11:11 बजे पर होगा. लेकिन 13 मार्च को पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा, जो होलिका दहन की परंपराओं को प्रभावित कर सकता है.
क्या है भद्रा का असर?
भद्रा का वास धरती पर होने से कई लोग उलझन में हैं कि होलिका दहन कब किया जाए. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के लिए भद्रा का वास नहीं होना चाहिए और पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है. लेकिन इस बार भद्रा 13 मार्च को रात 10:36 तक रहेगी, और उसके बाद ही शुभ मुहूर्त शुरू होगा.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
इस साल होलिका दहन 13 मार्च की रात को ही किया जाएगा, और इसके लिए ज्योतिषाचार्य ने रात 10:35 बजे से 11:26 बजे तक का समय शुभ बताया है. यानि इस दौरान लगभग 1 घंटे 9 मिनट का ही शुभ समय मिलेगा. यह समय भद्रा के समाप्त होने और पूर्णिमा तिथि के मेल से है, जब दहन के लिए उचित वातावरण बनता है.
कब खेली जाएगी होली?
वहीं, होली के दिन को लेकर भी भ्रम बना हुआ है. कई लोग जानना चाहते हैं कि होली 14 मार्च को होगी या 15 मार्च. इस बारे में ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि 13 मार्च की रात को होलिका दहन होने के बाद, 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा. हालांकि, कुछ जगहों पर 15 मार्च को भी होली मनाने की बात कही जा रही है, क्योंकि उदयातिथि के अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि 15 मार्च को रहेगी.
क्या करें और क्या न करें
होलिका दहन के दिन विशेष रूप से ध्यान रखना होगा कि भद्रा के दौरान किसी भी शुभ कार्य से बचना चाहिए. इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य जैसे शादी-ब्याह या नए काम की शुरुआत करना शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना जाता है. इसलिए होलिका दहन के बाद ही रंगों के इस पर्व की शुरुआत की जाए.