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रांची/डेस्क: होली का त्योहार, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, इस बार विशेष रूप से उत्साहित हैं. फाल्गुन पूर्णिमा की रात में मनाया जाने वाला होलिका दहन हर वर्ष की तरह इस बार भी भव्य रूप से मनाया जाएगा. हालांकि इस बार होली पर भद्रा का असर रहेगा, इसलिए होलिका पूजन और दहन का शुभ समय 11:32 बजे से 12:37 बजे तक हैं. आइए जानते है होलिका पूजन और दहन की पूरी विधि ताकि घर में सुख-समृद्धि बने रहें.
होलिका पूजन की महिमा
होलिका दहन की परंपरा भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ी हुई हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षस हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका की गोद में बिठाया, तो होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद भगवान विष्णु की कृपा से सुरक्षित रहे. इस घटना को हर साल बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता हैं.
होलिका पूजन की विधि
शुभ मुहूर्त का चयन
होली का पर्व 13 मार्च को हैं. पूर्णिमा तिथि सुबह 10:35 बजे से शुरू होगी लेकिन भद्राकाल का प्रभाव 10:36 बजे से रात 11:31 बजे तक रहेगा. इस दौरान होलिका पूजन और दहन से बचना चाहिए. इस कारण रात 11:32 बजे से 12:37 बजे तक समय सबसे उत्तम रहेगा.
होलिका दहन करने की सामग्री
- गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति
- गंगाजल, रौली, अक्षत (चावल)
- फूल, माला, नारियल
- सूखा नारियल, गुड़, कच्चा सूत, हल्दी, चंदन
- गेहूं की बालियां, चना, कपूर, घी का दीपक