देश-विदेशPosted at: दिसम्बर 02, 2022 62 लाख घरों में से 25 फीसदी घरों तक ही मिल पाया हर घर नल जल योजना का लाभ
मार्च 2023 में समाप्त हो रही है केंद्र प्रायोजित योजना हर घर नल जल योजना
न्यूज11 भारत / दीपक
रांचीः केंद्र प्रायोजित हर घर नल जल योजना का हाल बुरा है. केंद्र सरकार ने योजना के तहत 62 लाख घरों में स्वच्छ जल पहुंचाने का लक्ष्य झारखंड को दिया था. इस योजना के अंतर्गत मात्र 25 फीसदी घरों में ही हर घर नल जल योजना के तहत पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है. योजना की मियाद 31 मार्च 2023 को समाप्त हो रही है. अब भी 45 लाख से अधिक घरों तक पानी का कनेक्शन उपलब्ध नहीं हो पाया है. इसको लेकर राज्य सरकार का पेयजल और स्वच्छता विभाग का महकमा लगातार केंद्र सरकार से योजना की मियाद बढ़ाने के लिए पत्राचार करने में लगा है. विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भी इसको लेकर केंद्रीय मंत्री को पत्र लिख कर योजना का विस्तार दो साल तक कराने की मांग की है. जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के आधार पर सतही जल पर आधारित योजनाओं को लेकर सभी घरों में टैप वाटर कनेक्शन उपलब्ध कराने को कहा था. इसको लेकर मल्टी विलेज स्कीम, सिंगल विलेज स्कीम भी बनायी गयी और लोगों को पानी पहुंचाने का भारी भरकम लक्ष्य भी तय किया गया. पर योजना समय पर धरातल पर उतारी नहीं जा सकी.
केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन की परफारमेंस रिपोर्ट की बात करें तो झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 36 फीसदी आबादी अभी भी कुंआ और ट्यूबवेल पर पीने के पानी के लिए आधारित हैं. जबकि 64 फीसदी आबादी अन्य स्त्रोतों पर निर्भर हैं. 13 फीसदी गांवों में पानी के रीचार्ज की सुविधा उपलब्ध है. राज्य के 17 फीसदी गांवों में पानी की जांच के लिए टेस्ट किट ग्रामीण जल स्वच्छता समिति को उपलब्ध रायी गयी है. सरायकेला और खरसांवां तथा पूर्वी सिंहभूम में 45 फीसदी गांवों में टेस्टिंग किट की सुविधा है. जबकि गिरिडीह, चतरा, साहेबगंज और लातेहार जिला में पानी की जांच का कोई साधन उपलब्ध नहीं है. राज्य के 12075 गांवों में ही जलापूर्ति पाइपलाइन की सुविधाएं हैं. जबकि झारखंड में 29756 गांव हैं. झारखंड में 44 फीसदी गांवों में सातों दिन पानी की आपूर्ति की सुविधा है. जबकि पांच फीसदी गांवों में तीन से चार दिनों में एक बार जलापूर्ति होती है. आठ फीसदी ग्रामीण घरों में सप्ताह में एक बार जलापर्ति होती है. ग्रामीण इलाकों में मात्र तीन घंटे ही जलापूर्ति होती है. राज्य के 38 फीसदी गांवों में ग्रामीण जल् स्वच्छता समिति ठीक तरह से काम कर रही है. जबकि 64 फीसदी समितियों में पानी समिति का जिम्मा महिलाओं के हाथों में है.