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सिमडेगा/डेस्क: सड़क निर्माण में लगे संवेदक और विभाग कितने लापरवाह हो गए हैं इसका जीता जाता उदाहरण सिमडेगा में समाहरणालय के ठीक बगल में बनाए गए एक अधूरे सड़क को देखकर लगाया जा सकता है.
सिमडेगा समाहरणालय के ठीक बगल से एक बड़ी आबादी की बंगरू बस्ती की तरफ सड़क का निर्माण आरईओ विभाग के किया गया. लेकिन इस बंगरू बस्ती से नगर परिषद द्वारा बनी सड़क तक पहुंचने के लिए 4 किलो मीटर लंबी एक सड़क की आवश्यकता थी. लेकिन आरईओ विभाग द्वारा महज साढ़े तीन किलो मीटर का सड़क बनाकर छोड़ दिया गया. अब आरईओ विभाग द्वारा बनाई गई इस सड़क से नगर परिषद की सड़क तक बाकी बचे आधा किलोमीटर तक का पथ इतना जर्जर है कि इसमें चलना दुर्घटना को आमंत्रित करना है. यह आधा किलोमीटर का ज़र्जर सड़क बंगरू की बड़ी आबादी के लिए एक बड़ा परेशानी बन गया है. ग्रामीणों को ये समझ हीं नहीं आ रहा कि आखिर आरईओ विभाग सड़क अधूरा बना कर क्यों छोड़ दिया है.
आदिवासी कांग्रेस के नेता दिलीप तिर्की ने ग्रामीणों की समस्या को सुनकर इस सड़क का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि आरईओ विभाग द्वारा आधा किलोमीटर सड़क चोरी कर ली गई है. जिसकी शिकायत वे वरीय अधिकारी से करेंगे, और इस सड़क को पूर्ण करवाएंगे.
इस पूरे मामले पर जब आरईओ विभाग के जेई विपिन किंडो से बात की गई तो उन्होंने अपनी खामियों को छुपाने का प्रयास करते हुए पूर्व में बनाए गए सड़क के लेंथ में गड़बड़ी होने की बात कही उन्होंने कहा कि पूर्व में किसी विभाग द्वारा कहीं दूसरे जगह की आधी सड़क को इस सड़क से मिला दिया गया था. जो अब जर्जर हो चुकी है. जिसके कारण इस बार इन्हें पूर्व के लेंथ के आधार पर उस सड़क को पूरा बनाने का स्टीमेट नहीं मिल सका. अब खुद को फंसता देख ये जेई महाशय कहीं दूसरे जगह से आधे किलोमीटर की सड़क चुरा कर इस बंगरू जाने वाली सड़क को पूर्ण करने की बात कह अपना पल्ला छुड़ाते नजर आए.
अब जब नई सड़क बन रही थी तब पूर्व के लेंथ के आधार पर आखिर जेई कैसे वर्तमान एस्टीमेट को बनाया. क्या जेई स्थल का निरीक्षण नहीं किए थे. इस जेई की बात से सुनकर तो साफ जाहिर है कि, विकास कार्यों का एस्टीमेट एसी के बंद कमरों में बैठकर बनाया जाता है. तभी तो ऐसे अधूरे काम कर छोड़ दिया जा रहे हैं. क्या ऐसे नहीं पूर्ण हो सकेगा एक विकसित और समृद्ध झारखंड का सपना.