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रांची/डेस्क: हम सभी लोग कटहल खाते है. लेकिन कटहल के औषधीय गुणों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते है. कटहल को फल और सब्जी दोनों की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही कटहल के नमकीन भी बनते है. वहीं डायबिटीज को काबू करने में भी कटहल बहुत मददगार साबित होता है.
गर्म जलवायु में कटहल होता है. कटहल मूल रूप से भारत की उपज है. पेड़ पर उगने वाला यह सबसे बड़ा फल है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कटहल के अंदर डायबिटीज रोकने की क्षमता है. डायबिटीज रोकने के लिए बहुत तेजी से लोग कटहल के प्रोडक्ट का उपयोग कर रहे हैं. कटहल की मांग आने वाले समय में कई गुना बढ़ने वाली है. मानसून के मौसम में इसलिए अवश्य ही कटहल लगाना चाहिए. 25 से 35°C (77-95°F) की तापमान में कटहल पनपता है. कटहल के लिए साल में 1500 से 2500 मिमी बारिश की आवश्यकता होती है. विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों जैसे कि तटीय क्षेत्रों, मैदानों और पहाड़ी क्षेत्रों में कटहल को उगाया जा सकता है.
कटहल के प्रमुख उत्पादक राज्य
केरल भारत में सबसे बड़ा कटहल का उत्पादक राज्य है. इसके साथ ही तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल भी कटहल के उत्पादक राज्य है. कटहल की खेती के लिए इन राज्यों की जलवायु परिस्थितियां मददगार हैं. इन राज्यों की मिटटी कटहल के लिए जरुरी है, इनकी मिट्टी से पानी अच्छी तरह से निकल जाती है. मानसून के मौसम में आमतौर पर कटहल की रोपाई की जाती है. कटहल को नियमित रूप से पानी की जरुरत होती है. गर्मी के दिनों में खासकर इस पर ध्यान रखने की जरुरत होती है.
कई वैरायटी की कटहल होती है
बीज से कटहल का पेड़ तैयार किया जाता है. प्रचुर जैव विविधता इसमें होती है. कोई मानक प्रजाति अभी तक कटहल की तैयार नहीं की गई है. कटहल की उन्नतशील प्रजातियां कई शोध केंद्रों ने विकसित कर ली हैं. सब्जी के लिए स्वर्ण मनोहर, स्वर्ण पूर्ति और खजवा, वहीं एन.जे.-1, एन.जे.-2, एन.जे.-15 एवं एन.जे.-3, मत्तमवक्का कटहल की प्रजातियां हैं.
कटहल की किस्में
खजवा
ये जल्दी पकने वाले फल होते है. यह एक उपयुक्त किस्म ताजे पके फलों के लिए है.
स्वर्ण मनोहर
यह बड़े-बड़े और अधिक संख्या में फल देने वाली छोटे आकार के पेड़ होते है. फरवरी के पहले सप्ताह में इस किस्म में फल लग जाते है. जब ये छोटे होते हैं, तभी इन फलों को बेचा जाता है. इससे अच्छी आमदनी होती है.
स्वर्ण पूर्ति
सब्जी के लिए यह एक उपयुक्त किस्म है. इसका रंग गहरा हरा और फल छोटा (3-4 कि.ग्रा.) का होता है. इसके बीज छोटा और कवर पतले होते है साथ ही इसमें रेशा भी कम होता है. यह देर से होने वाला फल है. इसका उपयोग सब्जी के रूप में लंबे समय तक किया जा सकता है.
Disclaimer: यह आलेख एक्सपर्ट्स के राय के आधार पर लिखी गई है. इसके सेवन से पहले उचित सलाहकार से सलाह जरुर लें.