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रांची/डेस्क: देश की न्यायपालिका के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा हैं. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई जल्द ही भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं. मौजूदा CJI संजीव खन्ना ने परंपरा के अनुसार जस्टिस गवई को उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश विधि मंत्रालय को भेज दी हैं. लेकिन इस बार की नियुक्ति केवल परंपरा निभाने तक सीमित नहीं है- यह सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा और अहम कदम माना जा रहा हैं. जस्टिस बीआर गवई दूसरे दलित जस्टिस होंगे. बता दें कि, जस्टिस बीआर गवई 14 मई को नए CJI के तौर पर शपथ लेंगे. जस्टिस बीआर गवई का कार्यकाल समाप्त सिर्फ 7 महीने का होगा.
परंपरा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ही अपने उत्तराधिकारी का नाम सरकार को भेजते है और इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई गई हैं. कानून मंत्रायल ने औपचारिक तौर पर जस्टिस खन्ना से उनके उत्तराधिकारी का नाम पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने जस्टिस गवई का नाम आगे बढ़ाया.
कौन है जस्टिस बीआर गवई?
जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर को महारष्ट्र के अमरावती में हुआ था. उनके पिता का नाम आर. एस. गवई है, जो बिहार और केरल के राज्यपाल भी रह चुके हैं. साल 14 नवंबर 2003 में उन्होंने अपना करियर शुरू किया था. इसके अलावा उन्होंने मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में जज के रूप में विभिन्न पीठों पर काम कर चुके हैं. जिसके बाद 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था.
इन अहम फैसलों का अहम हिस्सा रह चुके है गवई
- आर्टिकल 370 को हटाने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जिन 5 मेंबर वाली संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही थी, उनमें से एक जस्टिस गवई भी थे.
- राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का भी गवई हिस्सा थे.
- पोलिटिकल फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का बीआर गवई हिस्सा थे.
- नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई में अहम भूमिका में रहे.