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रांची/डेस्क: उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से एक बड़ी खबर निकल के सामने आई है. जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे. खबर ये है कि आगरा में 17 साल पहले एक बच्चे का अपहरण हुआ था. अब उसी बच्चे ने कानून की पढ़ाई करके अपहरण करने वाले आरोपियों को सजा दिलाई है. इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी गुड्डन काछी, राजेश शर्मा, राजकुमार, फतेह सिंह उर्फ़ छिग्गा, अमर सिंह, बलवीर, रामप्रकाश और भिकम उर्फ़ भिखारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सजा केवल इतना इतने पर ही समाप्त नहीं होती है. इसके अलावा सभी 8 आरोपियों पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया है.
17 साल पहले हुआ था हर्ष का अपहरण
आपकी जानकारी के लिए बता दें, 17 साल पहले हुए अपहरण हुए व्यक्ति का नाम हर्ष गर्ग है. इनका अपहरण 10 फरवरी 2007 में हुआ था. जिसके बाद इनके पिता ने खेरागढ़ कस्बे के समीप स्थित पुलिस चौकी में मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. एफआईआर में बताया गया था कि वे अपने भाई रवि गर्ग के साथ मेडिकल स्टोर पर बैठे हुए थे. रवि गर्ग के साथ उनका 7 वर्षीय बालक हर्ष गर्ग भी मौजूद था. उसी दौरान शाम करीब 7 बजे एक राजस्थान नंबर की जीप आकर रुकी. जीप से गुड्डन काछी अपने अन्य साथियों के साथ दुकान पर आ गया. हथियारों के बल पर उन्होंने हर्ष का अपहरण कर लिया. विरोध करने पर आरोपियों ने गोली बारी भी की. जिसकी वजह से रवि गर्ग घायल भी हो गए थे. हर्ष को ले जाने के बाद आरोपियों ने उनके परिवार से 55 लाख रुपये की फिरौती की मांग की थी. पुलिस ने तहरीर के आधार पर गुड्डन काछी सहित 14 लोगों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज किया था.
एक महीने बाद मिला था हर्ष
बात दें, एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने हर्ष को ढूंढने के लिए अलग-अलग टीम बनाई और सर्च अभियान चलाया. जिसके बाद पुलिस ने हर्ष को एक महीने बाद 6 मार्च 2007 को पराधियों के चंगुल से छुड़ा लिया था. हर्ष को छुड़ाने के बाद पुलिस ने अपराधी गुड्डन काछी, राजकुमार, फतेह सिंह, अमर सिंह, बलवीर, राजेश शर्मा, भीकम सिंह ओर राम प्रकाश को गिरफ्तार करके सजा भी दिलाई थी.
पिता ने भी लड़ा था केस
हर्ष ने बताया कि उनकी गवाही 2014 से शुरू होकर 2018 तक चली. उनके पिता रवि गर्ग भी पेशे से वकील थे. रवि गर्ग ने शुरुआत मे बेटे का केस खुद लड़ा. हर्ष उस दौरान न्यायालय में वकीलों को बहस करते हुए देखते थे. जिसके बाद उन्होंने भी ग्रेजुएशन किया और आगरा कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की. 2023 में हर्ष ने बार काउंसिल में अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया. हर्ष अपने मुकदमे की सुनवाई में अभियोजन के साथ खुद भी शामिल होने लगे. आखिरकार कोर्ट ने आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.