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रांची/डेस्क: लोगों को रामायण से जीवन जीने की सीख मिलती है. इसमें भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है. इसके अलावा इसमें माता सीता की पवित्रता का जिक्र किया गया है. जगत के पालनहार भगवान विष्णु के 10 अवतारों ने 7 वां अवतार भगवान श्री राम का है. भगवान श्री राम के अनेकों काम की आज भी सराहना की जाती है.
बता दें कि एक मर्यादा में रहकर उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया है. उनके आचरण से लोगों को यह सीख मिलती है कि परिवार में माता-पिता और भाई-बहन के साथ कैसे रहा जाता है और उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है. कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि आखिर क्यों भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. आइए आपको बताते है कि आखिर क्यों उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है.
भगवान श्री राम के है ये गुण
अपने गुणों की वजह से ही भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते है. वह एक महान राजा थे. उन्होंने अपने जीवन काल में हमेशा मर्यादा, करुणा, सदाचार, दया, सत्य, और धर्म का पालन किया. समाज के लोगों के सामने उन्होंने सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया था. इस कारण से उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. बता दें कि भगवान श्री राम में कई गुण पाए जाते है. इन सभी गुण को आज के समय के इंसान में होना बेहद जरूरी है. उनके कामों और चरित्र जिक्र रामायण में किया गया है. यह उनके मौलिक मानवीय और आदर्शों के गुणों को प्रस्तुत करते है.
सभी रिश्तों को भगवान श्रीराम ने दिल से निभाया
भगवान राम ने सभी रिश्तों को दिल से निभाया है. भगवान श्री राम ने मित्रता की भूमिका हर वर्ग के व्यक्तियों और सभी जाति के साथ निभाया. चाहे वो निषादराज या विभीषण और केवट हो या सुग्रीव उन्होंने सभी से मित्रता दिल से निभाई. इसके अलावा उनमे दयालुता का भी गुण पाया जाता है. आज के जमाने में हर व्यक्ति में यह गुण होना चाहिए. अपनी दयालुता के कारण उन्होंने मानव, पक्षी और दानव सभी को आगे बढ़ने का मौका दिया था. रामायण में उनके चरित्र का भी जिक्र किया गया है. यह उन्हें धर्म के प्रति समर्पित इंसान के तौर पर प्रस्तुत करता है.
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