आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क: कोडरमा गौशाला की ओर से पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर होलिका दहन के लिए बड़े पैमाने पर गौ काष्ठ तैयार किया जा रहा है ताकि लकड़ी के कम से कम इस्तेमाल के साथ लकड़ी स्वरूप गाय के गोबर से तैयार गौ कास्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके.
पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर कोडरमा गौशाला समिति की ओर से तैयार गौ काष्ठ की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. गौशाला समिति में गाय के गोबर से गौ कास्ट का निर्माण किया जा रहा है, जो देखने में पूरी तरह से लकड़ी जैसा लगता है जलावन में इसका इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और होलिका दहन के मद्देनजर कोडरमा गौशाला ने बड़े पैमाने पर गौ कास्ट का उत्पादन किया है.
गौशाला समिति में गौ कास्ट के निर्माण के लिए एक मशीन भी लगाई गई है. जिसमें 80 प्रतिशत गोबर और 20 प्रतिशत लकड़ी के बुरादे या कोयले के चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है. दोनों के मिश्रण से इस मशीन में तकरीबन 6 इंच गोलाकार और चार फीट लंबी लकड़ी के शक्ल में गौ कास्ट तैयार होती है. इसमें गौशाला समिति के 8 से 10 लोग जुड़े हुए हैं. गौ कास्ट की कीमत भी महज 10 रुपये प्रति किलो निर्धारित की गई है, जो लकड़ी की अपेक्षा में काफी कम है.
अब तक परंपरागत जलावन के रूप में होटल, रेस्टोरेंट, घर और तमाम जगहों पर लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन लकड़ी के स्वरूप में बने इस गौ कास्ट से लकड़ी पर निर्भरता भी लोगों की कम होगी. गौ कास्ट के इस्तेमाल से धुएं का उत्सर्जन भी लकड़ी की अपेक्षा कम होता है और इसके इस्तेमाल से जंगलों की कटाई भी कम होगी. पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से कोडरमा गौशाला में तैयार गौ कास्ट का इस्तेमाल तो बेहतर भी है और पूजा पाठ हवन में भी इसकी शुद्घता की कोई बानगी नही होगी.