न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: मां दुर्गा का आखिरी व नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री हैं. नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. ये मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति हैं. मां सिद्धिदात्री व्यक्ति को सिद्धि प्रदान करती हैं. नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है.
नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं. अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार इन्हे सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली माना जाता है. इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, मां सिद्धिदात्री को अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हैं.
मां का 9वां रूप सिद्धिदात्री की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था. मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाएं. मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप बहुत ही शक्तिशाली रूप है. मान्यता है कि, मां दुर्गा का यह रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है. कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे. तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या करके आठ सिद्धियों को प्राप्त किया था. मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी के रूप में परिवर्तित हो गया, जिससे वह अर्धनारीश्वर के नाम से जाने गए. मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है. मान्यता है कि मां दुर्गा का यह रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ.
कथा में उल्लेख है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से सभी देवता परेशान हुए, तो वे भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास गए. और वहां उपस्थित सभी देवताओं से एक तेज उत्पन्न हुआ, जिससे एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है.