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रांची/डेस्क: बरसों से काला जादू, जादू टोना, अंधश्रद्धा जैसी कई क्रिया चलती आ रही हैं. ऐसे में इन सब के खिलाफ गुजरात ने एक बड़ी पहल की हैं. गुजरात विधानसभा में 64 साल बाद मानव बलि और अन्य अमानवीय प्रथाओं को रोकने के लिए Anti-Black Magic Bill पास हो गया हैं. इस बिल को गृह मंत्री हर्ष संघवी ने विधानसभा में प्रस्तुत किया था. गुजरात सरकार ने कहा है कि 'मानव बलि और अन्य अमानवीय प्रथाओं को रोकने के लिए यह कानून लाया गया हैं'.
अब जानते है की आखिर काला जादू के खिलाफ गुजरात में क्यों बिल लाया जा रहा है और देश के दूसरे किन राज्यों में ऐसे कानून हैं?
हाल ही में गुजरात की संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूल समिति ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने यह मांग की थी कि राज्य में गैरकानूनी तांत्रिक गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष कानून बनाया जाए. उस याचिका में कहा गया था कि कुछ धोखेबाज बाबा, अघोरी और ओझा के रूप में लोगों को धोखा देते हैं और साथ ही बच्चों और महिलाओं की बलि चढ़ाते हैं.
संस्था ने यह उदाहरण भी दिया था कि एक व्यक्ति ने काले जादू के नाम पर दो महीने के बच्चे को मार डाला था, जिसके कारण सरकार को ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए.
लोगों की जान से खिलवाड़
सिर्फ गुजरात ही नहीं, बल्कि देश भर में ऐसे कई लोग काला जादू और जादू-टोना के नाम पर लोगों की जान से खेलते हैं. National Crime Records Bureau (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में देशभर में काला जादू की वजह से 68 लोगों की जान चली गई थी, साथ ही देश में इसके खिलाफ कोई केंद्रीय कानून नहीं है.
बिहार में बना था सबसे पहला कानून
बिहार पहला ऐसा राज्य है, जहां काला जादू के खिलाफ सबसे पहले कानून साल 1999 में बनाया गया था. बिहार जैसा ही एक कानून झारखंड में भी हैं.
ओडिशा में भी जादू-टोना के खिलाफ साल 2013 से ही कानून हैं. यह कानून के तहत अगर ऐसी किसी भी प्रथा से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, तो दोषी को 1 से 3 साल तक की कैद की सजा हो सकती हैं.
छत्तीसगढ़ में 2015 में आया था यह कानून
छत्तीसगढ़ ने साल 2015 में जादू-टोना के खिलाफ कानून बनाया था. इस कानून के तहत दोषी को पांच साल तक कैद की सजा हो सकती हैं.
महाराष्ट्र में सात साल तक होगी सजा
महाराष्ट्र में साल 2013 से ही काला जादू को लेकर कानून है. इस कानून के तहत दोषी को छह महीने से लेकर सात साल तक की सजा हो सकती है और साथ ही 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता हैं.
कर्नाटक में 2020 में आया था यह कानून
कर्नाटक सरकार ने भी काला जादू के खिलाफ कानून 2020 में लाया था, साथ ही राजस्थान और असम की सरकारों ने भी साल 2015 में इसके खिलाफ कानून बना चुकी हैं.
ऐसे कानून पर अलग-अलग धाराओं में कैद और जुर्माने की सजा हो सकती हैं.