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रांची/डेस्क: राजस्थान के उदयपुर से बड़े खबर सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट ने तेंदुए को देखते ही गोली मारने से रोकने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस भूषण आर गवई, जस्टिस के वी विश्वनाथन और जस्टिस प्रशांत मिश्र की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि आखिर आदमखोर तेंदुए की पहचान कैसे होगी? उनका कहना है कि इससे बाघों को भी खतरा हो सकता है. उनका कहना है कि ग्रामीण बंदूक लेकर जंगल में प्रवेश कर रहे हैं. जबकि बंदूक की जगह उन्हें अपने साथ ट्रैंक्यूलाइजर गन रखनी चाहिए.
तेंदुओं के पक्ष में याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि आप हमें सुनिश्चित करे कि तेंदुओं कि हत्या नहीं की जाए. जिसपर कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आपको क्यों लगता है, वो तेंदुओं को मारने के लिए ही अपने साथ बंदूक लेकर घूम रहे हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते? बॉम्बे हाईकोर्ट की एक गाइडलाइन भी है आदमखोर जानवरों से निपटने के मामले में.
आपकी जानकारी के लिए बात दें, याचिकाकर्ता ने याचिका उदयपुर में एक तेंदुए के हत्या से संबंधित की थी. यह याचिका वन विभाग के खिलाफ 1 अक्टूबर 2024 को पारित एक आदेश को चुनौती देने के लिए दाखिल की गई है. जिसमें कहा गया था कि तेंदुए को देखने के बाद पहले उसे बेहोश करने की कोशिस की जाएगी. मगर यदि वह हमारे चंगुल से बच निकलने का प्रयास करता है और हमें लगेगा कि हम अब उसे बेहोश नहीं कर पाएंगे तो, हम उसे मार गिराएंगे.