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रांची/डेस्क: आज पितृ पक्ष के अंतर्गत अष्टमी तिथि का श्राद्ध संपन्न किया जाएगा. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जो अष्टमी तिथि को स्वर्गलोक सिधारते हैं. पितृ पक्ष का महत्व इसलिए अधिक होता है क्योंकि इस समय हमारे पितृ स्वर्ग से पृथ्वी पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं. ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण सही विधि से करने पर पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और वह संतुष्ट होकर आशीर्वाद देकर वापस लौट जाते हैं.
अष्टमी तिथि श्राद्ध की विधि
अष्टमी तिथि के श्राद्ध की विशेष विधि हैं. श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए. पितरों की तिथि के अनुसार आसन स्थापित करें. आसन पर कुशा या चावल बिछाकर दक्षिणमुखी होकर बैठें. तर्पण के लिए जल, काले तिल, चावल और कुशा का उपयोग किया जाता हैं. जल में काले तिल मिलाकर तीन बार पितरों का नाम लेकर तर्पण करें.
पिंडदान श्राद्धकर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा
पिंडदान श्राद्ध कर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. पिंड चावल, जौ के आटे, दूध और घी मिलाकर बनाए जाते हैं. इसके बाद पंचबलि कर्म किया जाता है, जिसमें पांच प्रकार के बलिदानों का अनुष्ठान होता हैं. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें कच्चे अनाज का दान करना चाहिए. श्राद्धकर्म के अंत में भगवान विष्णु के गोविंद स्वरूप की पूजा करें और गीता के आठवें अध्याय का पाठ करें. इसके बाद पितृ मंत्र का जाप कर उनसे क्षमा याचना करनी चाहिए.
अष्टमी श्राद्ध के नियम
अष्टमी श्राद्ध के दिन विशेष रूप से भोजन में लौकी की खीर, पालक, पूड़ी, फल, मिठाई, लौंग, इलायची और मिश्री का उपयोग करना चाहिए. यह माना जाता है कि इन व्यंजनों को पितरों को अर्पित करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता हैं. श्राद्धकर्ता को अष्टमी पितृ मंत्र का जाप भी करना चाहिए, जिससे पितरों का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता हैं. पितृ पक्ष के दौरान विधिवत श्राद्ध करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती हैं. यह भी मान्यता है कि जो व्यक्ति विधिपूर्वक अपने पितरों का श्राद्ध करते है, उन पर किसी प्रकार का संकट नहीं आता और वह सदैव पितरों की कृपा में रहते हैं.
पितृपक्ष का महत्व
पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समय पितरों को सम्मान और श्रद्धा अर्पित करने का होता हैं. इस अवधि में किए गए श्राद्धकर्म से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती हैं.