न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले दशक में भारत की एक्ट-ईस्ट नीति ने भारत और आसियान देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को "नई ऊर्जा, दिशा और गति" प्रदान की है. उन्होंने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव के दौर में भारत और आसियान की मित्रता, सहयोग, संवाद और सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है. वियनतियाने में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 1991 में इंडो-पैसिफिक महासागर पहल की शुरुआत पर प्रकाश डाला, जो इस क्षेत्र में आसियान आउटलुक का पूरक है.
इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक का पूरक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ASEAN-India शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने भारत की एक्ट-ईस्ट नीति की घोषणा की थी. पिछले दशक में इस नीति ने भारत और आसियान देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊर्जा, दिशा और गति दी है. आसियान (ASEAN) को प्रमुखता देते हुए 1991 में हमने इंडो-पैसिफिक महासागर पहल की शुरुआत की. यह इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक का पूरक है. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है. आज जब दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव की स्थिति है, तब भारत और आसियान की मित्रता, सहयोग, संवाद और सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है."
10 वर्षों में दोगुना हुआ व्यापार
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत और आसियान क्षेत्र के बीच व्यापार लगभग दोगुना होकर 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि सिंगापुर की तरह ही फिनटेक कनेक्टिविटी की स्थापना भी आसियान देशों में की जा रही है. उन्होंने कहा, "पिछले साल, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए समुद्री अभ्यास शुरू किए गए थे. पिछले 10 वर्षों में, आसियान (ASEAN) क्षेत्र के साथ हमारा व्यापार लगभग दोगुना होकर 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है. आज, भारत के पास 7 आसियान देशों के साथ सीधी उड़ान कनेक्टिविटी है और जल्द ही ब्रुनेई के साथ भी सीधी उड़ानें शुरू होंगी. हमने तिमोर लेस्ते में नए वाणिज्य दूतावास खोले हैं. सिंगापुर आसियान क्षेत्र का पहला देश था जिसके साथ हमने फिनटेक कनेक्टिविटी स्थापित की और अब इसे अन्य देशों में भी दोहराया जा रहा है.
प्रधानमंत्री सोनेक्सय सिफंदोन के निमंत्रण पर लाओस का दौरा कर रहे पीएम मोदी
पीएम मोदी ने जन-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर दिया और कहा कि यह दोनों क्षेत्रों के बीच विकास साझेदारी का आधार है. उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति से 300 से अधिक आसियान छात्रों को लाभ हुआ है और विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क भी शुरू किया गया है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत ने क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष, डिजिटल कोष और हरित कोष की स्थापना के लिए 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान दिया है.
उन्होंने कहा, "जन-केंद्रित दृष्टिकोण हमारी विकास साझेदारी का आधार है. नालंदा विश्वविद्यालय में 300 से अधिक आसियान छात्रों को छात्रवृत्ति का लाभ मिला है. विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क शुरू किया गया है. लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमार और इंडोनेशिया में साझा विरासत और धरोहर को संरक्षित करने के प्रयास किए गए हैं. चाहे वह कोविड महामारी हो या कोई प्राकृतिक आपदा, हमने एक-दूसरे की मदद की है. विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष, डिजिटल कोष और ग्रीन फंड की स्थापना की गई है और भारत ने इनमें 30 मिलियन डॉलर से अधिक का योगदान दिया है." प्रधानमंत्री मोदी लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्सय सिफंदोन के निमंत्रण पर लाओस का दौरा कर रहे हैं. वे वहां 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे. उनकी यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक दशक पूरा हो रहा है.