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रांची/डेस्क: शनिवार की शाम लोगों ने चांद देखा. चांद के दीदार के साथ माह-ए-रमजान का पाक महीना आज (2 मार्च) से शुरू हो गया हैं. रमजान का पाक महीने का इंतजार रोजा करने वालों को बेसब्री से होता है. इस पर्व का इंतजार वे साल भर करते हैं, यह महीना इबादत का होता है. इस्लाम धर्म के लोगों के लिए रमजान का महीना बहुत महत्व रखता हैं. इस पवित्र और इबादत का महीने के दौरान मुसलमान भाई-बहन 30 दिनों तक रोजा रखते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मुसलमानों के लिए, रमजान वह महीना है जिसमें 1,400 साल से पहले पैगंबर मुहम्मद के सामने इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान की पहली आयत का अवतरण हुआ था.
चांद के आधार पर तय होते त्योहार
रमजान इस्लामी कैलेण्डर का नवां और पवित्र महीना होता है. दुनिया भर के मुसलमान रोजे के इस महीने को बलिदान का महीना मानते हैं. रमजान की शुरूआत चांद देखने के बाद होती है. सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देश चांद दिखने के बाद ही रमजान की सही तिथि की घोषणा करते हैं. चांद दिखने के हिसाब से रमजान का महीना कभी 29 तो कभी 30 दिन का होता है. इस्लामिक कैलेंडर में चांद के आधार पर त्योहार तय होते हैं. कोई त्योहार मनाने से पूर्व यह देखा जाता है कि चांद कब निकल रहा है. यदि चांद नहीं निकला तो उस माह की तारीख ए क़मरी पर त्योहार मनाया जाता है.
रमजान से जुड़ी महत्वपूर्व बातें
नमाज, दान, आस्था, मक्का की हज यात्रा करने के साथ रोजा रखने को भी इस्लाम में पाचवां स्तंभ माना जाता है. कई मुस्लिम देशों में रमजान के दौरान काम के घंटों में कटौती कर दी जाती है. वहीं कई जगहों पर रोजे के दौरान रेस्टोरेंट बंद कर दिए जाते हैं. रमजान के पवित्र महीने में लोग एक-दूसरे को 'रमजान मुबारक' या 'रमजान करीम' कह कर अभिवादन करते हैं और एक-दूसरे के लिए यह महीना अच्छा गुजरने की कामना करते हैं.
इस्लाम में रमज़ान के महीने को सबसे पाक यानी पवित्र महीना माना जाता है. ये इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना होता है. रमज़ान के महीने में अल्लाह की किताब 'कुरान शरीफ' नाज़िल यानी जमीन पर उतरी थी. इसलिए रमज़ान के महीने में मुसलमान ज्यादातर अपना वक्त नमाज और कुरान पढ़ने में गुजारते हैं.
मुसलमान रमज़ान के पूरे महीने यानी चांद की तारीख के अनुसार 29 या 30 दिन के रोज़े रखते हैं. रमज़ान का चांद दिखाई देने के बाद सुबह को सूरज निकलने से पहले सहरी खाकर रोज़ा रखा जाता है. जबकि सूर्य ढलने के बाद इफ्तार होता है. जो लोग रोज़ा रखते हैं वो सहरी और इफ्तार के बीच कुछ भी नहीं खा-पी सकते.
रोजा के समय में सूर्योदय से पहले उठकर सहरी खाते हैं. फिर दिनभर भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करते हैं. शाम को खजूर खाकर रोजा खोलते हैं और फिर इफ्तार होती है.
रोजा में शाम को सूर्यास्त के बाद नमाज पढ़ी जाती है. उसके बाद ही रोजा खोलते हैं.
रमजान को इबादत और बरकत का महीना कहा जाता है. इसमें की गई दुआ कबूल होती है.
रमजान में ईमानदारी से कमाए गए पैसों से ही सहरी और इफ्तारी करते हैं. जो बेईमानी के पैसों से सहरी और इफ्तारी करते हैं, उनको अल्लाह माफ नहीं करता है.
यहां देखें दिल्ली समेत अन्य शहरों के इफ्तार का समय
इस पूरे महीने मुसलमान फज्र की नमाज के साथ रोजे की शुरूआत करते हैं और सूर्यास्त की नमाज के साथ रोजा खोलते हैं. ऐसे में रोजा करने वालों के लिए सहरी और इफ्तार की टाइमिंग बहुत ही मायने रखती है. क्योंकि, इसी के अनुसार वह सुबह में सेहरी करते हैं और शाम में सूर्यास्त के बाद अपना रोजा तोड़ते हैं. ऐसे में सहरी और इफ्तारी का टाइमिंग की जानकारी होना जरूरी होती हैं.
नई दिल्ली -02 मार्च 2025
इफ्तार का समय – शाम 06 बजकर 22 मिनट
रांची -02 मार्च 2025
इफ्तार का समय – शाम 5 बजकर 52 मिनट
पटना -02 मार्च 2025
इफ्तार का समय – शाम 5 बजकर 53 मिनट