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रांची/डेस्क: हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाता है. इस दिन सभी भगवान शिव और माता पार्वती की शाम के समय पूजा-अर्चना करते हैं. यदि आप भी इस प्रदोष व्रत को करना चाहते हैं और ये जानना चाहते हैं कि इस वर्ष ये व्रत किस तारीख को किया जा रहा तो, चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं. साथ ही साथ हम आपको ये भी बताएंगे कि किस मंत्र के जाप से आप इस व्रत को सफल बना सकते हैं. बता दें, आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत 29 सितंबर 2024 को पड़ रहा है. चूंकि यह व्रत रविवार को है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन शिव मंत्रों का जाप करने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है. मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप करने से साधक को मनचाहा कार्यक्षेत्र प्राप्त होता है और साथ ही उसके सभी मनोकामनाओं की भी पूर्ति होती है.
आश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत इस दिन
प्रदोष व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा. इस दिन त्रयोदशी तिथि की शुरुआत शाम 4:47 बजे से होगी और इसका समापन 30 सितंबर को शाम 7:06 बजे होगा.
शिव मंत्रों के जाप करने के ये है लाभ
शिव मंत्रों के जाप से मनुष्य के जीवन में खुशहाली और समृद्धि का आगाज होता है. प्रदोष व्रत के दिन यदि कोई व्यक्ति इस मंत्र का जाप करता है तो, उस व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा बरसती है. जो जीवन में सुख-समृद्धि लाती है. मनचाहा कार्यक्षेत्र प्राप्त होता है. जो जीवन में कई तरह के लाभ प्रदान करती है.
इन मंत्रों का करें जाप
1. महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
2. शिव स्तुति मंत्र: द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि. उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः..
3. शिव नामावली मंत्र: श्री शिवाय नम:, श्री शंकराय नम:, श्री महेश्वराय नम:, श्री सांबसदाशिवाय नम:, श्री रुद्राय नम:, ओम पार्वतीपतये नम:, ओम नमो नीलकण्ठाय नम:.
4. शिव प्रार्थना मंत्र: करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं . विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
5. शिव गायत्री मंत्र: ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्.
6. शिव आरोग्य मंत्र: माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा. आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते.. ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्..
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