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रांची/डेस्क: 26 जनवरी, 2025 को भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है और देशभर में इस राष्ट्रीय पर्व का जश्न धूमधाम से मनाया जा रहा हैं. इस खास मौके पर देश के प्रमुख समारोहों में से एक सवाल अक्सर सामने आता है- ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर हैं?
इस सवाल का जवाब जानना न सिर्फ हमारे संविधान के प्रति सम्मान को बढ़ाता है बल्कि यह हमें देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियां को भी समझाता हैं.
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर हैं?
ध्वजारोहण
ध्वजारोहण का मतलब है किसी विशेष स्थान पर आमतौर पर एक खास समारोह के दौरान ध्वज को मान्यता देते हुए उसे सम्मानपूर्वक लहराना. यह प्रक्रिया आमतौर पर किसी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय या धार्मिक अवसर पर होती है, जैसे कि गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस. इस दिन झंडा फहराने से पहले उसे सम्मानपूर्वक लहराने की प्रक्रिया को 'ध्वजारोहण' कहा जाता हैं. इसे करते समय अक्सर राष्ट्रगान भी गाया जाता हैं.
झंडा फहराना
झंडा फहराना वह क्रिया है जब ध्वज को किसी स्थान पर लहराने के लिए ऊंचा किया जाता हैं. यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसे किसी भी समय किया जा सकता है, जैसे सरकारी दफ्तरों में या सार्वजनिक कार्यक्रमों में. यह आयोजन ज्यादा औपचारिक नहीं होता लेकिन ध्वजारोहण एक अधिक गरिमामय और सम्मानजनक प्रक्रिया मानी जाती हैं.
गणतंत्र दिवस 1950 में भारतीय संविधान के लागू होने के दिन को चिह्नित करता हैं. इसे हर साल पूरे देश में गर्व और खुशी के साथ मनाया जाता हैं. इस दिन भारत की विविधता, सांस्कृतिक धरोहर और सैन्य ताकत का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो हमारे राष्ट्र की अखंडता और समृद्धि का प्रतिक हैं.
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