न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: आज शारदा नवरात्रि का दूसरा दिन है और आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती हैं. नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती हैं. इस दिन भक्त अपने मन को मां के चरणों के समक्ष रखते हैं. ब्रह्म का मतलब है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता हैं. इस दिन कुवारी कन्याओं का पूजन किया जाता है इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के बाद भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं.
आज के दिन आपके अंदर त्याग, संयम और सदाचार की भावना बढ़ती हैं. ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों के जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं.
क्यों मां को कहा जाता है मां ब्रह्मचारिणी?
शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था. नारद मुनि के कहने पर उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई कठोर तपस्या की हैं. इसी हजारों वर्षों की तपस्या के कारण उन्हें तपस्विनी या ब्रह्मचारिणी कहा जाता हैं. इस तपस्या के दौरान उन्होंने बिना कुछ खाए-पिए कठोर तपस्या की थी. यह दिन हमें यह सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और दृढ़ निश्चय से हम अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी का पूजा-मंत्र
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
मां ब्रह्मचारिणी को किसका भोग लगाया जाता हैं?
आज नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या मिसरी का भोग लगाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि चीनी का भोग लगाने से अच्छे विचार आते हैं. साथ ही भक्तों को लंबी उम्र और अच्छी सेहत भी मिलती हैं. मां ब्रह्मचारिणी को पीले रंग के कपड़े, फूल और फल अर्पित करना चाहिए.