प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: शहर का शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसबीएमसीएच) विवादों में घिर गया हैं. अस्पताल पहले से ही अपने आउटसोर्स कंपनी को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहा था. अब एक और घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 26 सितंबर को हजारीबाग के हुरहुरु रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया के पास अनियंत्रित पिकअप वैन की चपेट में आने से एक वृद्ध, कालीचरण यादव, गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें तुरंत शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होने के कारण उनकी जान चली गई. कालीचरण यादव के छोटे भाई उमेश गोप ने सदर थाना में आवेदन देकर आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की हैं.
उमेश गोप ने अपने आवेदन में बताया कि उनके भाई को गंभीर चोटें आई थीं और उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी. चिकित्सकों को सूचित करने के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया, लेकिन तीन सिलेंडर लगाए गए और सभी खाली निकले. अंततः जब ईसीजी किया गया, तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उमेश गोप ने अपने आवेदन में कहा कि अस्पताल से शव सौंपने के समय में भी गड़बड़ी की गई. अस्पताल के दस्तावेजों में मृत्यु का समय अलग-अलग लिखा गया हैं. अस्पताल के एक दस्तावेज में मृत्यु का समय 5:51 पीएम लिखा गया है, जबकि शव सौंपने का समय 4:38 पीएम और रिम्स रेफर का समय 7:15 पीएम लिखा गया हैं. इस गड़बड़ी से स्पष्ट होता है कि चिकित्सकों ने इलाज में लापरवाही बरती हैं. घटना के बाद यह बात भी सामने आई कि अगर अस्पताल के दोनों ऑक्सीजन प्लांट, जो पिछले 11 माह से बंद पड़े है, चालू होते तो वृद्ध को पाइप लाइन से ऑक्सीजन मिल सकता था और शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी.
इस संबंध में दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से 27 सितंबर को खबर प्रकाशित की थी कि अस्पताल में रोज 20 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत हैं. आरोप है कि अस्पताल के स्टाफ ने खाली सिलेंडर लगाकर मरीज के अटेंडेंट को गुमराह करने की कोशिश की. यह आशंका जताई जा रही है कि इस तरह की लापरवाही और गुमराह करने का तरीका और भी कई मरीजों के साथ किया जा सकता हैं. उमेश गोप ने सदर थाना में दिए गए आवेदन में सुपरिंटेंडेंट और मौके पर मौजूद हॉस्पिटल स्टाफ और डॉक्टर पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और उचित कार्रवाई की मांग की हैं. इस घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली और मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अस्पताल प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को इस मामले की जांच कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.