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रांची/डेस्क: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आश्विन अमावस्या को लगने जा रहा है. आश्विन अमावस्या पर पितरों की विदाई होती है. सरल शब्दों में कहें तो आश्विन अमावस्या पर पितर अपने लोक लौट जाते हैं. इससे पहले आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितरों का तर्पण किया जाता है. इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है. मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों को जल अर्पित करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. साथ ही संयोग से साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर, बुधवार को लगेगा, लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इसलिए इस ग्रहण का असर अमावस्या पर भी नहीं पड़ेगा.
सर्व पितृ अमावस्या की अवधि
इस साल सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को पड़ रही है, इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है. सर्व पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त 1 अक्टूबर की रात 9:39 बजे से शुरू होगा और तिथि 3 अक्टूबर की सुबह 12:18 बजे समाप्त होगी. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जिसका शुभ मुहूर्त 2 अक्टूबर की दोपहर 12:23 बजे से 3 अक्टूबर की सुबह 6:15 बजे तक रहेगा.
सूर्य ग्रहण की अवधि
यह ग्रहण रात्रि 9:13 बजे से शुरू होकर 3 अक्टूबर की मध्य रात्रि 3:17 बजे समाप्त होगा. यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में लगने जा रहा है. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा. लेकिन इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा.