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रांची/डेस्क: वैसे तो बिहार से रांची शहर में आने वाले के लिए बूटी मोड़ को इंट्री प्वाइंट माना जाता है. लेकिन बूटी मोड़ के बाद कांटा टोली शहर का प्रमुख चौराहा है. कांटा टोली से चार रास्ते हैं जो आपको विभिन्न जगहों पर ले जाते हैं. पहला रास्ता नामकुम, सिल्ली, जमशेदपुर की तरफ, दूसरा रास्ता लालपुर, कचहरी, मेन रोड की तरफ, तीसरा रास्ता बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन की ओर और चौथा रास्ता खेलगांव, बूटी मोड़ होते हुए हज़ारीबाग, धनबाद और बिहार की तरफ जाता है. यह राजधानी रांची का एक मात्र चौराहा है जो रांची जिला के कई इलाकों के साथ प्रदेश के दूसरे शहरों और बिहार-बंगाल जैसे राज्य को भी एक साथ जोड़ता है. वर्ष 2000 में जब झारखंड बना तो रांची यहां की राजधानी बनी.
जनसंख्या में इजाफे से ट्रैफिक की समस्या होना लाजिमी
राजधानी बनने के बाद यहां की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा. शिक्षण संस्थायें बनीं, बड़ी-बड़ी दुकानें खुलीं, छोटे-मोटे उद्योग लगे, मॉल बने, पब खुले तो राज्य के विभिन्न इलाकों से लोग यहां आकर रहने लगे. जनसंख्या बढ़ने लगी तो सड़क पर ट्रैफिक की समस्या होना लाजिमी है. खासतौर पर शहर में आने-जाने के प्रमुख चौराहे कांटा टोली पर जाम की समस्या आम हो गयी. घंटों-घंटों जाम में फंसना लोगों की नियति बन गयी.
जल्द मिलेगी जाम से मुक्ति मिलेगी
हर तरफ अतिक्रमण, बसों का परिचालन और बेतरतीब गाड़ियों की पार्किंग ने इस इलाके को नरक बना दिया. इस इलाके में फ्लाईओवर की मांग उठने लगी, ताकि ट्रैफिक का बोझ सड़क पर कम हो सके. इस मांग के बीच राज्य में सरकारें आती रहीं और जाती रहीं, लेकिन न फ्लाईओवर बन सका और न ही इस इलाके की समस्या का समाधान हुआ. लेकिन अब झारखंड बनने के लगभग 24 साल बाद ऐसा लगने लगा है कि राजधानी के लोगों को इस झंझावात से मुक्ति मिलने वाली है.
जल्द होगा फ्लाइओवर का उद्घाटन
झारखंड राज्य के नये मुखिया बने हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि कांटाटोली पर बन रहे फ्लाईओवर को अगस्त में किसी भी हालत में शुरू किया जाये. इस फ्लाईओवर में कुल 43 स्पैन हैं जिसमें सिर्फ एक स्पैन का काम बाकी रह गया है. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही इसका उद्घाटन होगा और आम लोगों को जाम से मुक्ति मिलेगी.