पारस यादव/न्यूज 11 भारत
लातेहार/डेस्क: गारू प्रखंड में स्थित सुग्गा बांध झारखंड ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. सुग्गा बांध में बूढ़ा नदी अपनी कलकल ध्वनि का ऐसा स्वर देती है जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि मानो हम स्वर्ग में पहुंच गए हैं . पिछले दो वर्षों के दौरान वन विभाग के द्वारा यहां पर पर्यटन सुविधा को काफी विकसित किया गया है. लकड़ी की सीढ़ियां बनाई गई है.जबकि नदी के बीचो-बीच बड़े-बड़े पत्थरों पर गजीबो का निर्माण किया गया है. यहां आकर पर्यटक प्रकृति का आनंद उठाते हैं. यहां सुरक्षा की भी मुकम्मल व्यवस्था रहती है. पुलिस के अलावे इको विकास समिति के कार्यकर्ता भी यहां सुरक्षा को लेकर तत्पर रहते हैं. सुग्गा बांध से कई गाथाएं, दंतकथाएं जुड़ी हुई हैं.आस-पास के कुछ लोग बताते है कि बहुत समय पहले एक तोता जिसे स्थानीय भाषा में सुग्गा कहते हैं कि पत्नी सुगनी को प्यास लगी. सुगनी का प्यास बुझाने के लिये तोता पानी की खोज में इधर-उधर भटकने लगा. काफी प्रयास के बाद आखिरकार वह बांध के स्थल पर पहुंचा. वहां उसने पहाड़ से पानी को बहता देखा. उस तोते ने चोच से आसपास के कंकड़ों को जमा करके बांध का रूप दिया और इस तरह पानी रूक गया. वह अपनी चोंच में पानी भर कर अपनी पत्नी को पिलाने के लिए ले गया. दुबारा जब कभी उसे व उसकी पत्नी को प्यास लगता था तो वह यहीं से पानी ले जाता था.
कैसे पहुंचे सुग्गा बांध
सुग्गा बांध के लिए बेतला, गारू, मारोमार, महुआडांड़, बरवाडीह के आस पास वन विश्रामगृह होटल आदि का उपयोग रहने के लिए किया जा सकता है. नवंबर से मार्च तक का महीना बिल्कुल परफेक्ट है. जब आप यहां मौजूद ज्यादातर जीव जंतुओं को देख सकते हैं. लातेहार जिला मुख्यालय से यह लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वही रांची से इसकी दूरी लगभग 175 किलोमीटर है. लातेहार से सरयू- अरमु मोड़-महुआडांड़ के रास्ते यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.