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रांची/डेस्कः मॉनसून सत्र के पहले दिन केंद्र सरकार ने लोकसभा में यह साफ कर दिया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है. संसद में एक लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि पहले राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की तरफ से कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया गया था. पर उसके पीछे कई आधार थे. NDC की तरफ से राज्यों को कई विशेषताओं के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था. विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए विशेष विचार करने की जरूरत थी.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने लिखित जवाब में कहा कि जिन राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया गया है उसमें से ज्यादातर पहाड़ी और कठिन भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या फिर आदिवासी आबादी का बड़ा हिस्सा, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी ढांचे के मामले में पिछड़ापन और राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति वाले राज्य हैं. इसके आधार पर ही उन्हें विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है.
बता दें कि पहली बार वर्ष 1969 में राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की बैठक में विशेष राज्य पर चर्चा हुई थी. इस बैठक में डीआर गाडगिल समिति ने देश में राज्यों के लिए केंद्रीय सहायता आवंटित करने का एक विशेष फार्मूला पेश किया था. इससे पहले केंद्र द्वारा राज्यों को धन वितरण करने के लिए कोई फार्मूला उपलब्ध नहीं था. उस वक्त योजना के आधार पर राज्यों को अनुदान दिया जाता था. गाडगिल फॉर्मूला ने जम्मू और कश्मीर, असम और नागालैंड जैसे राज्यों को विशेष श्रेणी की प्राथमिकता दी.