न्यूज11भारत
दुमका/डेस्क: मसलिया अंचल क्षेत्र के गुमरो पहाड़ किनारे सागवान पेड़ की कटाई बीते रात लकड़ी माफियाओं ने कर डाली. सुबह होते ही मोटे मोटे सागवान के बोटा को उठा भी ले गए. पालाजोरी फतेहपुर संक्षिप्त मार्ग से बिल्कुल सटे इन पेड़ों पर कुल्हाड़ी व आरे चले और सुबह होने से पूर्व लेकर चले गए लेकिन इसकी भनक यहां के वन अध्यक्ष और न ही वन समिति के सदस्यों को लगी. यहां लगभग आधा दर्जन मोटे साल हुए सागवान के पेड़ों को निशाना बना कर काटे गए. घटनास्थल पर पानी व विदेशी शराब की खाली बोतलें फेंकी हुई मिली. संभवत पहले लकड़ी काटने वाले माफियाओं व मजदूरों ने शराब पी और पेड़ो की कटाई की. लकड़ी माफियाओं ने जिन पेड़ों को काटे हैं उसे बनने में सालों लग जाते हैं. लेकिन जैसे ही ये पेड़ मोटे होते हैं कि लकड़ी माफियाओं के निशाने पर होते हैं. पेड़ कटने के बाद भी न तो इसकी जांच पड़ताल हो पाती है और न ही लकड़ी तस्कर पकड़ में आती है. मसलिया के इस गुमरो पहाड़ के तलहटी में यहां की हरियाली को देख कर आस पास के लोग पिकनिक मनाने एक जनवरी को पहुंचते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब पेड़ ही इस तरह कटते जाएंगे तो आखिर हरियाली कब तक बनी रहेगी.
वन विभाग नहीं कर पाती कोई कारवाई- वन समिति की निष्क्रियता और क्षेत्र से सटे पालाजोरी लकड़ी मिल होने के कारण वन विभाग जान कर भी कोई कारवाई नहीं कर पाती है. क्योंकि यहां पेड़ उठाने के बाद माफिया सीधे लकड़ी मील पहुंचा देते हैं. जहां दुमका जिले की प्रशासन वहां चाहकर भी अन्य जिला होने के कारण नहीं जा पाते हैं. इसका फायदा लकड़ी माफिया बखूबी उठाते हैं. नियमतः इन मीलों में कच्ची लकड़ी फाड़ने का आदेश नहीं होता है पर लकड़ी माफिया से मिलीभगत के कारण यहां सब नियम को ताक पर रखकर कच्ची लकड़ी को चीर कर माफियां बेच देते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यह सारा खेल वन विभाग के कर्मियों की निष्क्रियता यहां नियुक्त वाचरों की ढुलमुल रवैया के कारण जंगल के पेड़ कट रहे हैं. समय रहते इन माफियाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया तो गुमरो पहाड़ किनारे वन का नामोनिशान मिट कर केवल झाड़ियां बचेंगी. इस संदर्भ में जिला वन्य पदाधिकारी सात्विक कुमार से पूछे जाने पर वही रटा रटाया बयान बताया कि इसकी जांच कराते हैं.