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रांची/डेस्क: झारखंड में गरीबों की बात करने वाले सिस्टम की कारगुजारियां देखिए, निवाले के डकैतों ने मिट्टी में सैकड़ों टन अनाज दफन कर दिया. वो मिट्टी भी कहीं और की नहीं झारखंड राज्य फूट कारपोपोरेशन के गोदाम की मिट्टी है. सरकार के द्वारा जो अनाज गरीबों को भेजा जाता है उस राशन को JSFC के कर्मियों, ट्रासपोर्टर्स, ठेकेदार, राशन डीलर और बिचौलियों की मिलीभगत से पहले खूब बेचा जाता है, उसके बाद भी अगर राशन बच जाए तो उसे मिट्टी के भीतर दफना दिया जाता है. खाद्य आपूर्ति मंत्री बन्ना गुप्ता ने जब गुरुवार को अचानक कडरु स्थित JSFC गोदाम में छापेमारी की तब इस बात का खुलासा हुआ.
खाद्य आपूर्ति मंत्री बन्ना गुप्ता ने पकड़ी गड़बड़ी
कडरु JSFC गोदाम में खाद्य आपूर्ति मंत्री बन्ना गुप्ता ने गुरुवार को अचानक छापामारी कर दी. मंत्री को जांच के क्रम में गोदाम के भीतर भारी अनियमितताएं नजर आने लगीं. मंत्री बन्ना गुप्ता ने जब अनाज के बोरों की गिनती कराई तब जांच में चावल,दाल के कई पैकेट गायब होने का खुलासा हुआ. गोदाम में रखा 2022- 23 का चीनी गोदाम में रखे-रखे सड़ गया. स्टॉक मिलान नहीं होने के कारण मंत्री ने जब कर्मियों को फटकार लगायी तब चौकांने वाला खुलासा हुआ.
छानबीन में खुला अनाज दफनाने का राज
मंत्री बन्ना गुप्ता ने जब कड़ाई से पूछताछ शुरु की तो अनाज को मिट्टी के नीचे दफनाए जाने का खुलासा हुआ. आनन फानन में जेसीबी बुलाई गयी और जब जेसीबी की सहायता से मिट्टी हटाकर भीतर देखा गया तो प्रत्यक्षदर्शियों के होश उड़ गए. मिट्टी के नीचे भारी तादाद में अनाज के बोरे दफनाकर छुपाकर रखे गए थे. कई बोरों के अनाज सड़कर खराब हो गए थे. JSFC कर्मियों की मिलीभगत से राशन डकारने का काला खेल धड़ल्ले से चल रहा था. JSFC के गोदाम नंबर 3 को मंत्री ने सील करवा दिया.
2022 की आर्थिक सर्वेक्षण में गरीबों का खुलासा
साल 2022 में आई झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के ग्रामीण इलाकों में 50.93 प्रतिशत लोग गरीब हैं, जबकि पूरे राज्य में 46.16 प्रतिशत लोग गरीब हैं. राज्य की लगभग आधी आबादी पूरी तरह सरकार की ओर से मिलने वाले राशन पर ही निर्भर हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पूरे झारखंड में 2.79 करोड़ लोगों को राशन दिया जाता है. इस मिशन के तहत 1,46,000 मीट्रिक टन अनाज का वितरण हर महीने किया जाना है. स्थनीय लोगों का आरोप रहता है कि एक पीडीएस डीलर को जितना राशन बांटना होता है, वह पूरा नहीं बांटता है. लेकिन महीने के आखिरी में बचा हुआ राशन वह बाजार में बेच देता है, जबकि सिस्टम में यह दिख रहा होता है कि 100 में से 90 लोगों को ही राशन मिला है.
शराब निर्माण और सौन्दर्य प्रसाधन में इस्तेमाल
जानकार बताते हैं कि राज्य में शराब निर्माण करने वाली कंपनियां इन सड़े हुए गेहूं और अन्य अनाजों का इस्तेमाल शराब बनाने के लिए करती हैं. सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण में भी इसका प्रयोग होता है. ऐसे में सूत्रों की मानें तो JSFC के पदाधिकारियों की सांठगांठ शराब सिंडीकेट के साथ भी है और बचा हुआ राशन या तो खुले बाजार में बेच दिया जाता है या फिर उसे शराब सिंडिकेट चलाने वालों को बेचा जाता है. कुल मिलाकर निवाले के डकैतों के कारण राज्य की जनता को भूखे मरने के हालात से गुजरना पड़ता है.
क्या कहते हैं मंत्री
इस मामले में मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा है कि गरीबों के निवाले के हर दाने का हिसाब लेंगे. JSFC के अधिकारियों पर जमकर बरसते हुए मंत्री ने कहा कि रजिस्टर को अपडेट नहीं किया जाता ताकि अनाज की कालाबजारी की जा सके.