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रांची/डेस्क: एक मां बेटे के रिश्ते को काफी पविता माना जाता है. बेटे के तरक्की की ख़ुशी मां से ज्यादा किसी को नहीं होती है. जब बेटे को चोट लगती है तब वह मां ही होती है जो बिना सोये अपने बेटे का हर वक़्त ख्याल रखती है. मां बेटे को पिता की डांट से बचाती है, वह मां ही होती है जो हमे हर संकट से निकलती है. ऐसे में अगर कोई बेटा अपने मां से दूर हो जाता है तो उसके जीवन में उससे बड़ा दुख या पीड़ा और कुछ नहीं होता है. इस खबर में हम आको एक हैरान कर देने वाली घटना के बारे में बताने जा रहे है, जिसे सुनने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे. एक बेटे ने अपनी मां का अंतिम संस्कार कर दिया था. लेकिन 25 सालों के बाद वह अपनी मां से दोबारा मिलता है, उसे पता चलता है की उसकी मां जिंदा है, जी हां आपने सही सुना. आइए आपको इस बारे में पूरी जानकारी देते है.
क्या है मामला?
कर्नाटक के बेल्लारी में 25 साल पहले एक महिला अपने पति और बच्चों को छोड़कर घर से कही चली गई थी. इसके बाद उसके परिजनों ने उसकी खूब तलाश की. लेकिन उस महिला का कोई अता-पता नहीं लगा. उसके परिजनों ने बताया कि वह महिला मानसिक रूप से कमजोर थी.उस महिला का नाम सकम्मा है. इसकी शादी केंचिना बांदी गांव के नागेश से ही थी. उस महिला के चार बच्चे है. इनमे से एक बच्चे की मौत हो गई थी. एक दिन सकम्मा अपने घर से अचानक से निकली और किसी ट्रेन में सवार होकर कहीं चले गई. महिला के घर वालों ने अनहोनी की आशंका के चलते उसे मृत मान लिया था.मिली जानकारी के अनुसार वह हिमाचल प्रदेश पहुंच गई थी. सकम्मा यहां काफी तकलीफ में ग़ुरबत की जिंदगी जी रही थी. सकम्मा को हिमाचल में लावारिस हालत में साल 2018 में पाया गया था. इसके बाद उसे स्थानीय प्रशासन ने वृद्ध आश्रम भेज दिया था. इस वक़्त सकम्मा भंगरोटू वृद्ध आश्रम में रह रही थी. सकम्मा और बाकी लोग जो वृद्ध आश्रम में रह रहे थे उनकी समय-समय पर प्रशासनिक अधिकारी जानकारी लेते रहते थे. बीते 18 दिसंबर को जब इस वृद्ध आश्रम में मंडी के असिस्टेंट डिप्टी कमिश्नर रोहित राठौर तो उन्हें सकम्मा दिखी. उन्होंने पता चला की सकम्मा 70 वर्षीय महिला है और उसे हिंदी नहीं आती है और वह कर्नाटक की रहने वाली है.
पालमपुर एसडीएम नेत्रा मैत्ती ने की मदद
साकम्मा से कन्नड़ भाषा में बात करने के लिए मंडी एडीसी रोहित राठौर ने पालमपुर की एसडीएम नेत्रा मैत्ती से संपर्क कर मदद मांगी. आपको बता दे कि नेत्रा कर्नाटक की ही रहने वाली है. सकम्मा से फोन पर नेत्रा ने कन्नड़ भाषा में बात की. इसके बाद उन्होंने सकम्मा और उसके घर परिवार वालों के बारे में जानकारी ली. इसके बाद मंडी जिला में कार्यरत कर्नाटक निवासी आईपीएस प्रोबेशनर रवि नंदन को नेत्रा मैत्ती ने भंगरोटू वृद्धाश्रम भेजा. वहां रवि नंदन ने साकम्मा के साथ बातचीत की और उसका वीडियो कर्नाटक सरकार को भेज दिया.
प्रशासन ने सकम्मा की परिवार को खोज निकाला
मंडी डिप्टी कमिश्नर ने इस मामले में बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार के अधिकारियों और कर्नाटक सरकार की मदद से सकम्मा की परिजनों को खोज लिया गया है. सकम्मा के परिवार वालों ने ने उसे 25 साल पहले ही मृत मानकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. सकम्मा के जाने के बाद उसके परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस को कुछ दिनों बाद एक दुर्घटना में क्षत विक्षत शव मिली. इस बार में पुलिस ने उसके परिजनों को सूचित किया. उन्होंने इसके बाद समझकर को मरा हुआ समझकर उस महिला का अंतिम संस्कार कर दिया.
तीनों बच्चे मां को देख रो पड़े
आपको बता दे सकम्मा मानसिक रूप से कमजोर है. उसे 25 साल पहले की सारी बातें याद थी. वह इन बातों को केवल कन्नड़ भासा में ही बताती थी . वह खाती थी कि उसके छोटे-छोटे बच्चे है. लेकिन अब उनके बचे भी माता-पिता बन चुके है. सकम्मा के कुल चार बच्चे थे. इनमे से एक की मौत हो गई थी. अब 3 उसके बच्चे जीवित है. उन्हें उसके 2 बेटे और 1 बेटी है. सकम्मा को मंदी से वापस लाने के लिए कर्नाटक सरकार ने तीन अधिकारियों को भेजा था. इसके बाद उसे कर्नाटक वापस ले आया गया था. जैसे ही वह एयरपोर्ट पर पहुंची तो उसके बच्चे उसे देख कर रोने लगे. अब तो सक्क्मा नानी और दादी भी बन चुकी है.