प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: सरकारें आती रहती है, जाती रहती हैं. आज इस पार्टी की सरकार, कल उस पार्टी की मगर वोटरों की समस्या यथावत रहती हैं. नेता सांसद/विधायक बन जाते. हर बार के चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति कई-कई गुना बढ़ जाती है मगर जनता जो वोट देकर उन्हें विधायक सांसद बनाती है वो वही के वही रह जाती हैं. आज बात करते है हजारीबाग जिले के सुदूरवर्ती प्रखंड इचाक के अति सुदूरवर्ती गरडीह गांव की 18 वर्षीय छात्रा अंजू टुडू की जो दुर्भाग्य से उसी समुदाय से आती है जिस समुदाय के सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन और इन सबसे ऊपर दिशोम गुरु शीबू सोरेन आते हैं. अंजू टुडू आज गरडीह गांव के बूथ संख्या 390 पर पहुंची थी. अंजू का चेहरा निस्तेज था मगर आंखों में एक चमक थी पहली बार वोट डालने की। अंजू ने बताया कि वह पहली बार इस उम्मीद से मतदान कर रही है कि उनका वोट पाकर जो भी यहां का विधायक बनेगा, उसके गांव से लेकर स्कूल तक पक्की सड़क बनवा देगा. अंजू यह बताती है कि खराब सड़क के कारण वह 8वीं तक ही पढ़ पाई. सड़क नहीं होने के कारण उसे आगे की पढ़ाई बंद करनी पड़ी क्योंकि स्कूल तक कोई वाहन नहीं जा सकता. कई किलोमीटर की यात्रा पैदल ही करनी पड़ती थी. अंजू व्यवस्था की शिकार का ताजा तरीन उदाहरण हैं. अंजू का कहना है कि "यदि चुन कर आने वाले नए विधायक गांव से स्कूल तक की सड़क बनवा देंगे तो गांव की कई बच्चियां जो पढ़ाई छोड़ चुकी है, अपनी पढ़ाई दुबारा चालू कर सकती हैं." अंजू कहती है कि जिले की डीसी एक महिला है, वह भी पढ़ कर ऐसे ही अफसर बनना चाहती मगर व्यवस्था उसे आगे बढ़ने से रोक रही हैं.